देवघर (शहर परिक्रमा)

देवघर: माँ की भूमिका संगोष्ठी में देवघर की माताओं ने रखी अपनी बातें, 12 को होंगी सम्मानित

स्थानीय विवेकानंद शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान तथा ओमसत्यम इंस्टिट्यूट ऑफ फिल्म, ड्रामा एंड फाइन आर्ट्स के बैनर तले आयोजित साप्ताहिक अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस के अंतर्गत, स्थानीय माताओं अपनी बातें रखीं।

दीनबंधु उच्च विद्यालय की शिक्षिका मनीषा घोष कहती हैं- ‘माँ’ शब्द की कोई परिभाषा नहीं होती है यह शब्द अपने आप में परिपूर्ण है। असहनीय शारीरिक पीड़ा के पश्चात् बच्चे को जन्म देने वाली माँ को भागवान का दर्जा दिया जाता है, क्योंकि ‘माँ’ जननी है।

कृष्णापुरी निवासी, गृहिणी प्रियांशु प्रिया कहती हैं- भगवान ने माँ के द्वारा ही सम्पूर्ण सृष्टि की रचना की है। माता-पिता बनना मनुष्य के जीवन का सबसे परिपूर्ण, आनंदित और पुरस्कृत करने वाला अनुभव होता है, परन्तु इसका अर्थ यह नहीं की यह आसान है। बच्चों की उम्र चाहे कितनी भी हो जाए, हमारा दायित्व कभी भी ख़त्म नहीं होता है।

ब्राइट कैरियर स्कूल की प्राचार्या, पुष्पा सिंह कहती हैं- ‘माँ’ एक ऐसा शब्द है, जिसमें नारी की पूर्णता का बोध होता है। यह कहना उचित होगा कि महान आत्माओं का विकास माता के गर्भ और गोद में ही होता है।

एस. एस. जालान रोड निवासी गृहिणी, सुमन केशरी कहती हैं- परिस्थितियाँ चाहे जो भी हो ‘माँ’ का नाम पहले आता ही है। नारी के अनेक रूपों में ‘माँ’ का ही रूप पूजनीय है। माँ अपने बच्चों की पहली ‘शिक्षिका’ और ‘परिवार’ बच्चों की पहली ‘पाठशाला’ होती है।

अपर बिलसी टाउन निवासी गृहिणी, नन्ही झा कहती हैं- दुनिया में हर व्यक्ति के अनेकों रिश्ते होते हैं और हर रिश्ते को हमसे कुछ पाने की आस होती है लेकिन ‘माँ’ का ही एक ऐसा रिश्ता है जो जीवनपर्यन्त सिर्फ देना जानती है, लेना नहीं।

रोहिणी निवासी गृहिणी, रिंकू बरणवाल कहती हैं- माँ हर वक्त अपने संतान के कल्याण, भलाई और सुख की चिंता में रहती है। उसकी आतंरिक इक्षा होती है कि उसकी संतान आगे बढ़े और अपने परिवार, समाज तथा देश का नाम ऊँचा करे।

विलियम्स टाउन निवासी, सौंदर्य विशेषज्ञ रश्मि कुमारी कहती हैं- माँ की ममता व स्नेह तथा पिता का अनुशासन किसी भी मनुष्य के व्यक्तित्व के निर्माण में सबसे प्रमुख भूमिका निभाता है।

शिवगंगा के निकट रहने वाली गृहिणी, पूजा झा सुमन केशरी कहती हैं- बच्चे को उसके जन्म से लेकर उसके पैरों पर खड़ा होने तक माँ और पिता दोनों को अनेक कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। इसका अनुमान बच्चों को तब होता है जब वे खुद माता-पिता बन जाते हैं।

देवघर निवासी, सृजन गुरुकुलम्गृ, चाँदन, बाँका, बिहार की शिक्षिका संजू भास्कर कहती हैं- संसार में यदि किसी भी व्यक्ति की पहचान या अस्तित्व है तो वह उसके माता-पिता के कारण है। हर माँ अपने बच्चे को इतना मजबूत बना दे कि उसका बच्चा कभी भी सही रास्ते से नहीं भटके। बल्कि वह हर तरह की कठिनाइयों का सामना करने के लिये तत्पर रहे। ऐसी माताओं की हमारे देश के इतिहास में कमी नहीं है जिन्होंने अपने बच्चों को उचाईयों तक पहुचायाँ है।

जानकारी हो कि सभी माताओं को बारह मई को अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस पर, दीनबंधु उच्च विद्यालय स्थित रवींद्र सभागार में सम्मानित किया जायेगा। इस आशय की जानकारी विवेकानंद संस्थान के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव ने दी।