दुमका (शहर परिक्रमा)

पशुओं को लू से कैसे बचाएं: डॉ अमित कुमार झा

दुमका: पशु चिकित्सक डॉ अमित कुमार झा ने बताया कि मई का महीना चल रहा है गर्मी अपना पूरा तेवर दिखा रही है, आलम यह है कि दिन में धूप और लू ने आम लोगों के जनजीवन को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है। इससे सबसे अधिक परेशानियां उन पशुओं को हो रही है जो चरने के लिए खुले खेतों पर आश्रित है इस वजह से पशु भी लू का शिकार हो रहे हैं। अगर किसी किसान भाई के पशु को तीव्र ज्वर है तो समझ लेना चाहिए कि पशु लू का शिकार हो गया है।
डॉ.अमित कुमार झा ने लू के लक्षण के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि पशु को लू लगने पर 106 से 108 डिग्री फारेनहाइट तेज बुखार होता है, सुस्त होकर खाना पीना छोड़ देता है, मुंह से जीभ बाहर निकल जाती है तथा सही तरह से सांस लेने में कठिनाई होती है तथा मुंह के आसपास झाग आ जाता है। लू लगने पर आंख एवं नाक लाल हो जाता है। पशु की नाक से खून आना प्रारंभ हो जाता है जिससे हम नकसीर कहते हैं। पशु के हृदय की धड़कन तेज हो जाती है, श्वास कमजोर पड़ जाती है जिससे पशु चक्कर खाकर गिर जाता है तथा इस स्थिति में पशु की मृत्यु भी हो सकती है। डॉ झा ने बताया कि लू से पशुओं को कैसे बचाएं। उन्होंने बताया कि पशुओं को हवादार पशु गृह या पेड़ों के नीचे ही बांधें। कुल मिलाकर पशुओं को ऐसी जगह रखें जहां उन पर सीधी धूप न पड़ती हो। पशु गृह को ठंडा रखने के लिए उसकी दीवारों पर जूट की टाट लटकाई जा सकती है इसमें समय-समय पर पानी का छिड़काव कर गर्म हवा को अंदर आने से रोका जा सकता है। पशु गृह में पंखे या कूलर का प्रयोग कर उसे ठंडा बनाए रखना चाहिए। गर्मी की वजह से पानी की कमी ना हो इस बात को ध्यान में रखते हुए कम से कम चार बार पशुओं को ठंडा पानी दिया जाना चाहिए इससे वे हीट स्ट्रोक से बचे रहेंगे। पशु विशेष कर संकर नस्ल की गाय एवं भैंस को दिन में दो बार नहलाना चाहिए इससे उन्हें लू लगने से बचाया जा सकता है। पशुओं को चराई के लिए सुबह जल्दी और शाम को देरी से भेजना चाहिए। डेयरी पशुओं पर गर्मी के तनाव का मुख्य रूप से उनकी प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है तथा दूध उत्पादन में गिरावट आती है। डॉ झा ने बताया कि गर्मी में पशुओं को भोजन कम और पानी की आवश्यकता अधिक होती है। गर्मी के मौसम में पशुओं को सुखे चारे की जगह हरा चारा अधिक मात्रा में देना चाहिए। हरे चारे के दो फायदे होते हैं एक मवेशी स्वादिष्ट और पौष्टिक चारा ज्यादा चाव से खाता है दूसरा हरे चारे में 70 से 90% तक पानी होता है जो समय-समय पर पशु के शरीर में जल की पूर्ति करता है। पशु को अगर लू लग जाए तो उस स्थिति में क्या करें। वैसे स्थिति में पशु को पानी से भरे गड्ढे में रखकर उस पर ठंडे पानी का छिड़काव करना चाहिए। पशु के शरीर पर बर्फ या अल्कोहल को रगड़ना चाहिए इससे पशु को राहत मिलेगी। पशु को प्याज और पुदीने से बना अर्क पिलाना चाहिए। यदि इन उपायों के बाद भी पशु को आराम नहीं मिलता है तो पशु चिकित्सक से संपर्क करें। डॉ. झा ने लू के प्राकृतिक उपचार के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि गायों के शरीर पर और कान के पीछे प्याज का रस लगाना हीट स्ट्रोक के लिए सबसे अधिक प्रभावी घरेलू उपचारों में से एक है। कच्चा आम भी हीट स्ट्रोक से बचाव के साथ-साथ इलाज के लिए सबसे लोकप्रिय प्राकृतिक घरेलू उपचारों में से एक है। पानी में एलोवेरा का जूस मिलाकर पिलाना भी हीट स्ट्रोक के लिए सबसे आसान प्राकृतिक घरेलू उपचार है। अगर पशु गंभीर अवस्था में हो तो तुरंत निकट के पशु चिकित्सालय में जाएं क्योंकि लू से पीड़ित पशु में पानी की कमी हो जाती है इसकी पूर्ति के लिए पशु को ग्लूकोज की बोतल ड्रिप चढ़ावानी चाहिए और बुखार को कम करने व नकसीर के उपचार के लिए तुरंत पशु चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

रिपोर्ट- आलोक रंजन