दुमका (शहर परिक्रमा)

धूमधाम एवं नेम निष्ठा से संपन्न हुआ पनढार पूजा

बासुकीनाथ: शनिवार ज्येष्ठ शुक्लपक्ष पूर्णिमा के दिन जरमुंडी प्रखंड क्षेत्र के प्रसिद्ध सुखजोरा नाग मंदिर में धूमधाम से नेम निष्ठा से पनढार पूजा संपन्न हो गया। पनढार पूजा के संपन्न होने के साथ ही जरमुंडी प्रखंड क्षेत्र में पंद्रह दिन के लिए क्षेत्र के निवासियों के लिए मांसाहारी भोजन एवम पाठा बलि पर प्रतिबंध लग गया। इस पंद्रह दिवस पर्यंत जरमुंडी प्रखंड क्षेत्र के निवासियों के लिए अपने घरों में किसी प्रकार के पुआ पकवान एवम खीर बनाने पर प्रतिबंध लग गया। पनढार पूजा से प्रारंभ होकर पंद्रहवां दिन छह एवम सात जुलाई को सुखजोड़ा नाग मंदिर में नाग पूजा संपन्न होने के बाद ही जरमुंडी प्रखंड क्षेत्र के किसी भी देवी देवताओं को बलि प्रदान किया जाएगा। पंद्रह दिन तक जरमुंडी के प्रसिद्ध सुखजोरा नाग मंदिर, बेलदहा नाग मंदिर, जामा प्रखंड क्षेत्र के ओगैया नाग मंदिर एवं सरैयाहाट प्रखंड के नाग वासुकी नाग मंदिर में नेम निष्ठा से वहां के पुजारियों द्वारा नाग देवता का पूजा संपन्न किया जाता है। पंद्रहवां दिन जरमुंडी प्रखंड के प्रसिद्ध नाग मंदिर सुखजोरा एवं सरैयाहाट प्रखंड के नाग वासुकी मंदिर में नाग मेला लगता है, जिसमें झारखंड,बिहार एवं पश्चिम बंगाल से आए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। जरमुंडी प्रखंड के प्रसिद्ध नाग मंदिर सुखजोरा में संथाल परगना प्रमंडल का सबसे बड़ा नाग मेला लगता है। सुखजोरा नाग मंदिर में नाग पूजा के दिन बांस से बने डाली में भूरा, जनेऊ एवं धान तथा अन्य पूजन सामग्री रहता है जो मेला में आए सैकड़ों श्रद्धालुओं द्वारा नाग मंदिर में पूजा अर्चना करने के दौरान नाग देवता को चढ़ाया जाता है। सुखजोरा मेला में नाग देवता को सैकड़ों पाठा का बलि श्रद्धालुओं द्वारा दिया जाता है। सुखजोरा नाग मंदिर में पूजा अर्चना एवं बलि प्रदान के बाद से ही प्रखंड क्षेत्र में लगा किसी देवी देवताओं को बलि प्रदान पर लगा प्रतिबंध समाप्त हो जाता है। मान्यता है कि सुखजोरा नाग मंदिर में पूजा अर्चना के बाद वहां का नीर (चरणामृत) ग्रहण करने के बाद लोगों को सर्प दंश के भय से मुक्ति मिल जाता है और नीर को शीशी में भरकर घर ले जाने से वर्ष पर्यंत सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को पिलाने से सर्प विष से बचा जा सकता है।

रिपोर्ट- शोभाराम पंडा