देवघर (शहर परिक्रमा)

देवघर: इनरव्हील क्लब द्वारा डिप्सर कॉलेज में एनीमिया जागरूकता प्रोग्राम

इनर व्हील क्लब देवघर की अध्यक्ष अर्चना भगत व सचिव कंचन मूर्ति शाह के नेतृत्व में डिपसर कॉलेज देवघर की छात्राओ के बीच कॉलेज के सचिव असीम कुमार चटर्जी व एलुमनी एसोसिएशन की सचिव अंजू पंडित के सौजन्य से अन्य फैकल्टी मेंबर एवं इनर व्हील क्लब के सदस्यों के बीच देवघर एम्स में कार्यरत डॉक्टर स्वाति प्रिया के द्वारा एनीमिया जागरुकता प्रोग्राम संपन्न हुआ।

कार्यक्रम में कॉलेज के सचिव असीम कुमार चटर्जी द्वारा डॉक्टर स्वाति प्रिया ,अध्यक्ष अर्चना भगत व सचिव कंचन मूर्ति को पुष्प गुच्छ व अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।


वहीं क्लब की अध्यक्ष ने सचिव एक के चटर्जी को इनरव्हील के लोगो वाला अंगवस्त्र व चॉकलेट देकर अभिवादन किया ।
इसके पश्चात डॉक्टर स्वाति ने उपस्थित छात्राओं को संबोधित किया और एनीमिया वास्तव में है के बारे में बताया। जिसके अंतर्गत इसके होने के कारण, लक्षण व निदान के बारे में विस्तार से बताया ।
इसके पश्चात छात्राओं को उन्होंने बताया कि एनीमिया कई प्रकार का होता है और सबसे दुख की बात है कि भारत की 80% महिला आबादी अच्छे-अच्छे संपन्न घरों से होने के बावजूद भी एनीमिया से पीड़ित है। क्योंकि हमारे देश का खानपान ही कुछ ऐसा है जिसकी वजह से हमें पर्याप्त मात्रा में आयरन नहीं मिल पाती है और हमे एनीमिया डिफिशिएंसी हो जाती है।
इसके होने से शरीर में कमजोरी, चिड़चिड़ापन आदि हो जाती है और हम जोश से काम नहीं कर पाते जितने जोश से हमें काम करना चाहिए ।
साथ ही यह भी बताया कि इसकी पूर्ति के लिए हमें आयरन युक्त आहार लेना चाहिए। हरित पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए साथ ही खट्टे फलों का सेवन करना चाहिए ।
विटामिन सी का सेवन करना चाहिए इससे आयरन के अवशोषण में मदद मिलती है। नॉन वेजिटेरियन के लिए आयरन को प्राप्त करना ज्यादा सहज होता है क्योंकि नॉनवेज में जो आयरन की क्वालिटी होती है उसका अब्जॉर्बेंट अधिक होता है जिससे वह सहज ही प्राप्त हो जाता है
परंतु शाकाहारी वह वीगन डाइट में ड आयरन के ऑब्जरवेशन के लिए उसके साथ कुछ सहायक पदार्थों को भी लेना होता है।
इसके लिए उन्होंने जो सबसे बढ़िया विकल्प बताया वह है ड्राई फ्रूट्स के लड्डू।
हर समय हम आयरन युक्त आहार बनाकर नहीं खा सकते लेकिन एक बार अगर हम मेवे के लड्डू बना लेते हैं तो उसे हर सुबह सेवन कर सकते हैं जिससे हमारी आईरन डिफिशिएंसी की पूर्ति हो जाती है। साथ ही दिन भर एनर्जी भी बनी रहती है ।
कुछ लोगों में एक्सटर्नल या इंटरनल ब्लीडिंग की वजह से होती है तो कुछ लोगों में आनुवांशिक रूप से पाया जाता है, तथा कुछ लोगों में किया क्रॉनिक डिजीज के रूप में उभर कर सामने आता है जैसे कि थैलेसीमिया वगैरह।
तो इन सब का इलाज करना चाहिए साधारण डिफिशिएंसी में हम खाद्य पदार्थों के द्वारा इसकी पूर्ति कर सकते हैं, लेकिन जब ज्यादा डिफिशिएंसी बनी रहे ,खाद्य पदार्थों का सेवन करने के पश्चात भी हीमोग्लोबिन का स्तर ना बढे, तो हमें सप्लीमेंट्स की मदद लेनी चाहिए और उससे भी जब वह मेंटेन ना हो तो हमें डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
क्योंकि बिना आयरन के हमें ऊर्जा ही नहीं रहेगी तो हम अपने दिनचर्या का काम भी सहज रूप से नहीं कर पाएंगे । अंत में छात्राओं ने भी अपनी-अपनी ओर से सवाल उठाए जिसका डॉक्टर स्वाती ने बहुत अच्छे से जवाब दिया ।
कार्यक्रम में अध्यक्ष व सचिव के अलावे क्लब की एग्जीक्यूटिव मेंबर रुपा छावछरिया, श्वेता केसरी, रेनू सिंघानिया, प्रीति अग्रवाल, नमिता भगत, चंद्रप्रभा, संगीता झा, प्रीति जायसवाल व डिपसर कॉलेज के फैकल्टी शरद कुमार, सौरभ सरेवर, डॉ अमित चटर्जी, प्रखर बनर्जी, अरिंदम दास, हरिपद महता, मनोज कुमार व डॉक्टर कार्तिक राय आदि उपस्थित थे ।