साहित्य

भागलपुर(बिहार): गोपाल सिंह नेपाली की‌ 113वीं जयंती पर पुष्पांजलि कार्यक्रम

रविवार 11 अगस्त 2014 को स्थानीय डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद पथ (भामाशाह चौक), भागलपुर में राष्ट्रकवि गोपाल सिंह नेपाली की‌ 113वीं जयंती-पखबीसा‌ प्रारंभ पर शब्दयात्रा भागलपुर द्वारा पुष्पांजलि-कार्यक्रम का‌ आयोजन किया ।

अध्यक्षता करते हुए यात्राध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार कवि लघुकथाकार पारस कुंज ने कहा 17 अप्रैल 1963 की सुबह, चीनी आक्रमण के खिलाफ अपनी क्रांतिकारी-देशभक्ति-कविताओं के माध्यम से समस्त-भारत में घूम-घूमकर सीमापर लड़ रही हमारी सेना और आमजन को जगाते-जगाते एकचारी से भागलपुर आते समय रेलडब्बे‌ में खुद ही नेपाली जी सो गए । अर्थात संदेहावस्ता में उनकी मौत हो गई, भागलपुर-जंक्शन पर पार्थिव शरीर को उतारा गया और अगले दिन 18 अप्रैल को पूर्ण राजकीय-सम्मान के साथ स्थानीय बरारी श्मशान-घाट पर उनकी अंत्येष्टि सम्पन्न कराई गई थी । 11 अगस्त 1911 ई. को बिहार के पश्चिम चम्पारण के बेतिया शहर में उनका जन्म हुआ था आज उनकी 113वीं जयंती‌ है ।

बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार डॉ ओमप्रकाश सामबे ने कहा कि ‘कलम के सिपाही राष्ट्रकवि गोपाल सिंह नेपाली और उनकी रचनाओं को भारतीय जनसमुदाय ने अपने दिलों में बसा रखा है !’

इस अवसर पर बतौर विशिष्ट अतिथि यात्रा-उपाक्षक समाजसेवी श्री विकास झुनझुनवाला ने उनकी पंक्तियों – एक देश एक राष्ट्र एक राष्ट्रभाषा, ओ राही दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से, हिन्दी है भारत की बोली तो अपने आप पनपने दो ! …. आदि का‌ उद्धरण करते हुए कहा कि – अपनी ओजस्वी रचनाओं से देश के लिए प्राण निछावर करने वाले गोपाल सिंह नेपाली को इतने वर्षों बाद भी उनका समुचित हक और सम्मान नहीं मिला है, जो भारत सरकार के लिए एक विचारणीय प्रश्न है ।

पुष्पांजलि कार्यक्रम में डॉ मीरा झा ने अपने विद्यार्थी जीवन की चर्चा करते हुए उनकी कविता – ‘सुनहरी सुबह की लालियों, रंगभरी शाम की डालियों / तुम अमर उदय की लाली से, मेरा अँगना रंग डालियो !’ सुनया । डॉ जयंत जलद ने -‘तारे चमके तुम भी चमको, फिर बीती रात न लौटेगी !’, तो श्री रविकुमार जैन ने – ‘घुंघट-घुंघट नैना नाचे, पनघट-पनघट छैंया रे !’ आदि रचनाओं को सुनाकर पूरा माहौल को नेपाली-मय कर दिया ।

पुष्पांजलि-कार्यक्रम का आरम्भ पंडित चितरंजन पाण्डेय द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से हुआ । तत्पश्चात स्वागताध्यक्ष श्री निरंजन प्रसाद साह ने आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया । आयोजन का संचालन डॉ राजेश गोयल ने किया, तो धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ सत्यम शरणम् ने बताया कि आज से नेपाली जयंती पखबीसा आरम्भ हुआ है जो 31 अगस्त तक चलेगा । स्वेक्षित संस्थाएं या लोग अपनी सुविधानुसार किसी भी एक दिन नेपाली जी को उनके कृतित्व व्यक्तित्व और रचनाओं के माध्यम से याद कर सकते हैं ् ।

मौके पर डॉ ओमप्रकाश सामबे, पारस कुंज, विकास झुनझुनवाला, अजीत अंकुश, डॉ मीरा झा, डॉ जयंत जलद, रविकुमार जैन, सत्येन भास्कर, संजय कुमार, निरंजन मंडल, राहुल कुमार तिवारी, विश्वनाथ ठाकुर रवि चिराननियां आदि मौजूद थे ।