राष्ट्रीय

12 अगस्त: विश्व हाथी दिवस

विश्व हाथी दिवस हर साल 12 अगस्त को दुनिया भर में मनाया जाता है। हाथी धरती पर पाया जाने वाला सबसे विशाल प्राणी है। हाथी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य पूरी दुनिया के हाथियों के प्रति जागरूकता और उनके संरक्षण को बढ़ावा देना है। एलिफेंट की इंट्रोडक्शन फाउंडेशन द्वारा साल 2011 में इसकी पहल की गई थी लेकिन ऑफिशियली 12 अगस्त, 2012 को इसे मनाने की घोषणा हुई। भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में हाथियों को सर्वोच्च दर्जा दिया गया है। भारत में हाथियों की गिनती आखिरी बार 2017 में हुई थी। उस वक्त भारत में हाथियों की कुल संख्या 30 हजार थी, पर जैसे-जैसे साल आगे बढ़ता रहा, इस संख्या में कमी आती रही। जिस ओर ध्यान देने की जरूरत है।

सभ्यता के पूरे इतिहास में हाथी और मनुष्य एक साथ एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। अफ्रीकी हाथी के प्राकृतिक वातावरण के विस्तार के साथ-साथ इनका आकार विशाल है, ये काफी हद तक कैद और पालतू बनाने का विरोध करने में कामयाब रहे है। दूसरी ओर, एशियाई हाथी, जो 4,000 से अधिक वर्षों से मनुष्यों के साथ रहा है और विभिन्न सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रीति-रिवाजों से जुड़ा है। उदाहरण के लिए, थाईलैंड में हाथी एक राष्ट्रीय प्रतीक हैं। यहां एक दिन का राष्ट्रीय अवकाश पूरी तरह से हाथियों को समर्पित है और वे राजा से शाही उपाधि भी प्राप्त कर सकते हैं। इन सब के बावजूद, अभी भी हम हाथियों के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते हैं। पिछले एक दशक पहले हाथियों की संख्या 10 लाख तक थी जो इस समय भारी गिरावट के साथ महज 27 हजार रह गई है। हाथियों की घटती संख्या और उनकी मौत भारत के केरल में सबसे ज्यादा होती है। हाथी को मारना या नुकसान पहुंचाना कानूनन अपराध है। ऐसा करने पर आरोपियों को वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के अनुसार जानवरों की हत्या पर 3 साल तक की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है। देश में 2017 में आखिरी बार हाथियों की गिनती की गई थी। 2017 में हुई हाथियों की गिनती के अनुसार भारत में 30 हजार हाथी हैं, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती जा रही है। हाथी जन्म के 20 मिनट बाद ही हाथी का बच्चा खड़ा हो जाता है। वह दिनभर में 150 किलोग्रामतक खाना खा लेता है। उसका वजन 5 हजार किलोग्राम तक हो सकता है। वह खाने के बहुत शौकीन होते हैं। वह एक बार में 80 गैलन तक पानी पी सकता है। वह कीचड़ में लोटना पसंद करते हैं।

लेखक डॉ प्रदीप कुमार सिंह देव साइंस एंड मैथेमेटिक्स डेवेलॉपमेंट आर्गेनाईजेशन के राष्ट्रीय सचिव हैं