देवघर (शहर परिक्रमा)

दशलक्षण महापर्व का आज तीसरा दिन

आज जैन धर्म द्वारा मनाया जाने वाला दशलक्षण महापर्व का तीसरा दिन उत्तम आर्जव धर्म है। आज का प्रथम अभिषेक व शांतिधारा डॉक्टर आनंद जैन, आशीष जैन ने किया। तत्पश्चात सामूहिक आरती, देव, शास्त्र, गुरु पूजन, दशलक्षण पूजन, उत्तम आर्जव धर्म पूजन, चौबीस तीर्थंकर पूजन, पंचबालयति पूजन पंडित प्रमोद जैन के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। वहीं शाम में आरती, शास्त्र वाचन हुआ जिसमें पंडित ज्ञानचंद्र जैन ने कहा कि उत्तम आर्जव धर्म कहता है सरल स्वभावी बनो। भगवान महावीर कहते हैं जिसके मन वचन और कर्म एक जैसे होते हैं वह महात्मा है और जिसके मन में कुछ है वचन में कुछ और कार्य में कुछ है वह दुरात्मा है। हमें मायाचारी नहीं करना, छल कपट नहीं करना, धोखा नहीं देना, विश्वासघात नहीं करना, आर्जव धर्म यही प्रेरणा दे रहा है, इस आर्जव धर्म के धारण करने से ही जीव का कल्याण हो सकता है ।
जैसे सर्प का स्वभाव टेढ़ा चलने का है परंतु जब वह बिल में जाता है तो सीधा हो जाता है इसी प्रकार इस संसार में हम भले ही मायाचार करके छल करके तिरछे चलते हैं, परंतु हमें सिद्धालय में पहुंचना है तो हमें सरल बनना ही पड़ेगा। जिस प्रकार एक सीधी म्यान में टेढ़ी तलवार नहीं समा सकती उसी प्रकार वक्र हृदय वाले व्यक्ति में आर्जव धर्म में समा नहीं सकता ।
अतः आत्मा को सरल स्वभावी बनाएं । यही आर्जव धर्म का सार है ।
कार्यक्रम में स्थानीय जैन मंदिर के अध्यक्ष राजेश जैन, मंत्री सुरेश पाटनी, कोषाध्यक्ष जुगल किशोर जैन
सहित समाज के कई अन्य उपस्थित थे।

संवाददाता: अजय संतोषी