दुमका (शहर परिक्रमा)

दुमका: “संताल परगना का इतिहास” पुस्तक का प्रमंडलीय आयुक्त ने किया लोकार्पण

दुमका: राजकीय पुस्तकालय दुमका में शनिवार को “संताल परगना का इतिहास” पुस्तक के लोकार्पण समारोह का आयोजन किया गया। यह पुस्तक डॉ.सुनील कुमार सिंह (सेवानिवृत आईएएस अधिकारी) द्वारा लिखी गई है। समारोह में पुस्तक के लोकार्पणकर्ता एवं मुख्य अथिति संताल परगना प्रमंडल के आयुक्त लालचंद डाडेल एवं समारोह के विशिष्ट अथिति दुमका उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे उपस्थित थे। इस अवसर पर डॉ. सुनील कुमार सिंह के साथ क्राउन पब्लिकेशन के राजेन्द्र कुमार आर्य भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ सभी अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।

संताल परगना प्रमंडल के आयुक्त लालचंद डाडेल ने बताया कि संथाल परगना का इतिहास शोधकर्ताओं और लेखकों के दिमाग से हमेशा दूर रहा है। वर्तमान में जो ग्रन्थ उपलब्ध है, वे उस क्षेत्र के आंशिक क्षेत्र या आंशिक अवधि पर लिखित हैं। एक सम्पूर्ण इतिहास हिन्दी में उपलब्ध नहीं है। अंग्रेजों द्वारा लिखित गजेटियर में संक्षिप्त जानकारी उपलब्ध है। इस पुस्तक में संथाल परगना की स्वायत्तता आंदोलन को छोड़कर प्राचीन काल से स्वतंत्रता काल तक के इतिहास को शामिल किया गया है। यह तेरह अध्यायों में विभाजित है। प्रथम तीन अध्याय प्राचीन, मध्य कालीन और ब्रिटिश कालीन इतिहास का वर्णन करते हैं।
इसी क्रम में उपायुक्त ने पुस्तक की सराहना की ओर बताया कि इस पुस्तक दो अध्याय संथाल विद्रोह 1855 और 1857 के विद्रोह पर समर्पित है। “दामिन-ए-कोह” शासन व्यवस्था के उद्भव और विकास पर अलग चर्चा की गई है। संथाल क्षेत्र में 1919-1947 के दौरान स्वतंत्रता आंदोलन की भी व्याख्या की गई है। अन्य अध्यायों में भारत छोड़ो आंदोलन’, संथाल अर्थव्यवस्था, संथाल समाज और संस्कृति के अलावे उस क्षेत्र में मिशन की उत्पत्ति, प्रगति और प्रभाव पर भी लिखा गया है। यह पहली बार है जब संथाल परगना के सभी पहलुओं का विवरण एक जगह पर डॉ. सिंह ने किया है जिससे न केवल छात्राओं, शोधकर्ताओं बल्कि प्रशासकों को भी काफी ज्ञानकारी मिल सकती है।

पुस्तक के लेखक डॉ. सुनील कुमार सिंह है जो सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। इन्होंने राजस्व पर और राज्य के अन्य विषयों पर कई पुस्तकें लिखीं हैं। इस ग्रन्थ के प्रकाशक ‘क्राउन पब्लिकेशन्स’ है। इस पुस्तक में कुल 426 पृष्ट है और इसका मूल्य 900 रू. है।

रिपोर्ट- आलोक रंजन