राष्ट्रीय

दुर्गा पूजा आज से प्रारंभ, 12 अक्टूबर को विसर्जन व विजयादशमी के साथ समापन

दुर्गा पूजा भारतीय उपमहाद्वीप व दक्षिण एशिया में मनाया जाने वाला एक वार्षिक हिन्दू पर्व है जिसमें हिन्दू देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। यह पर्व हिन्दू देवी दुर्गा की बुराई के प्रतीक राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है। इस प्रकार यह पर्व बुराई पर भलाई की विजय के रूप में भी माना जाता है।

दुर्गा पूजा की उत्पत्ति प्राचीन भारतीय शास्त्रों में पाई जा सकती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर एक राक्षस था जिसे भगवान ब्रह्मा से वरदान मिला था कि उसे कोई भी देवता या मनुष्य पराजित नहीं कर सकता। इससे वह शक्तिशाली हो गया और उसने स्वर्ग में देवताओं को बहुत परेशान किया। देवताओं की मदद की गुहार के जवाब में, भगवान ब्रह्मा ने भगवान विष्णु और भगवान शिव के साथ मिलकर देवी दुर्गा का निर्माण किया और उन्हें महिषासुर से लड़ने के लिए अपनी सर्वोच्च शक्तियाँ प्रदान कीं। महिषासुर और देवी दुर्गा के बीच भयंकर युद्ध हुआ। लाभ पाने के लिए राक्षस ने खुद को भैंसे में बदल लिया। यह संघर्ष 10 दिनों तक चला, जिसके अंत में देवी दुर्गा ने भैंसे का सिर काटकर और महिषासुर को हराकर विजय प्राप्त की। महिषासुर अपने मूल रूप में प्रकट हुआ। यह पर्व पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, झारखण्ड, मणिपुर, ओडिशा और त्रिपुरा आदि भारतीय राज्यों व्यापक रूप से मनाया जाता है।

3 अक्टूबर, 2024 (गुरुवार) को प्रतिपदा, घटस्थापना, शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना मुहूर्त प्रातः 05:28 बजे से प्रातः 06:31 बजे तक है, 4 अक्टूबर, 2024 (शुक्रवार) को द्वितीय चन्द्र दर्शन, ब्रह्मचारिणी पूजा, 5 अक्टूबर, 2024 (शनिवार) को द्वितीया, 6 अक्टूबर, 2024 (रविवार) को सिन्दूर तृतीया, चंद्रघंटा पूजा, विनायक चतुर्थी, 7 अक्टूबर, 2024 (सोमवार) को चतुर्थी, कुष्मांडा पूजा, उपांग ललिता व्रत, 8 अक्टूबर, 2024 (मंगलवार) को पंचमी, सरस्वती आवाहन, 9 अक्टूबर, 2024 (बुधवार) को षष्ठी, सरस्वती आवाहन, कात्यायनी पूजा, मूल नक्षत्र आवाहन मुहूर्त सुबह 10:25 बजे से शाम 04:42 बजे तक है, 10 अक्टूबर, 2024 (गुरुवार) को सप्तमी, सरस्वती पूजा, कालरात्रि पूजा, 11 अक्टूबर, 2024 (शुक्रवार) को अष्टमी, दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा, संधि पूजा, महानवमी, 12 अक्टूबर, 2024 (शनिवार) को नवमी, दशमी, आयुध पूजा, नवमी होम, नवरात्रि पारण, दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी …… और इसी के साथ इस वर्ष की दुर्गा पूजा की समाप्ति।

pradip singh Deo
लेखक प्रदीप कुमार सिंह देव