जनजागरण के दूत महात्मा गांधी
विश्व वन्द्य बापु महामानव है। उनके आलोक की छाया से दिग्दिगन्त उद्भासित है। उनमें अनेक सूर्य का प्रकाश पूँजीभूत है। इन्द्रधनुष के समान वे बहुमुखी प्रतिभासम्पन्न हैं। वे जागरण के चिन्ह, उल्लास के प्रतीक, नवयुग की प्रेरणा और मानवता के उद्धारक हैं। शक्ति के प्रतीक बापू पर्वत को चेतना, सागर को गतिशीलता, अग्नि की उष्णता, वायु को प्रचण्डता, बिजली को चमक तथा बज्र को संहारक शक्ति प्रदान करते हैं। क्रान्ति के पूजारी बापू की शक्ति ही बिखर कर भारत की जड़-प्रकृति को समुल्लसित करती है।
बापू राष्ट्रनायक हैं। वे राष्ट्र के गौरव है। उनके सफल नेतृत्व में राष्ट्र का दीपक कभी न बुझेगा। वह सदा संसार का पथ आलोकित करता रहेगा। साधना तथा तपस्या से ज्योतिर्मय बापू आँधी और तूफानों से जूझने वाले, अमित-शक्ति सम्पन्न और अक्षय कीर्ति से अमर, राष्ट्र के प्राण हैं। उनकी जीवनी शक्ति ने देश में वह चेतना, वह शक्ति भर दी है; जो कभी, किसी भी स्थिति में अक्षुण्ण रहने वाली है। वह जीवनी शक्ति असीम है, अमिट है। देश की समग्र परिस्थितियों का उन्होंने सूक्ष्म अध्ययन किया। जीवन में अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं के अतिरिक्त वह कोई और चीज़ अपने पास नहीं रखते थे। उनका सर्वस्व तकली थी। कलम थी। स्वदेशी का उनका आशय था देश की मिट्टी से प्रेम। खद्दर से उनका था अपना सारा काम अपने हाथ से करना। एक अजीब प्राणी शरीर में निर्बल, आत्मा में कुन्दन एक साथ विद्रोही और राजभक्त जैसी सब भलाइयों का पुलिन्दा था। वह चलता फिरता देवता थे। उस समय उन्होंने देश में निर्भयता का ऐसा प्रकाश फैलाया कि सत्याधारी डरने लगे। जादू की इस छड़ी ने देश को अभयदान दिया।
महान वैज्ञानिक आइनस्टीन के शब्दों में- “आने वाली पीढ़ियां शायद मुश्किल से यह विश्वास कर सकेंगी कि गाँधी जी जैसा हाड़-मांस का पुतला कभी इस धरती पर हुआ होगा। गाँधी जी के कार्य-कलापों से भारत की कीर्ति कौमुदी को अक्षय प्रकाश मिला। उनकी अनवरत साधना एवं अद्भुत कार्यक्षमता के कारण आज हम स्वाधीनता के सुखद वातावरण में उन्मुक्त साँस ले रहे हैं। वह मानव प्रेम का अग्रदूत तथा सत्य और अहिंसा की प्रतिमूर्ति के रूप में विकास के उस बिन्दु पर पहुंच गए ये जिन्होंने संसार के एक बड़े भाग का भाग्य बदल कर काया पलट दी। वास्तव में नवीन भारत के निर्माता, पवित्र आत्मा, उद्योगशील, दृढ़-संकल्प, कपट-शून्य और मनुष्य मात्र के हितैषी महात्मा गाँधी वस्तुतः ऐसे ही महान पुरुष थे।