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नवरात्रि का तीसरा दिन: माँ दुर्गा के चंद्रघंटा रूप

आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। इस दिन भक्‍तजन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा रूप की पूजा करते हैं। नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित किया गया है। उनकी पूजा से भक्तों को भय से मुक्ति मिलती है और हर तरह के पाप भी नष्ट हो सकते हैं।

इस स्वरूप में माता युद्ध मुद्रा में सिंह पर विराजी नजर आती हैं और उनके माथे पर घंटे के आकार में अर्धचंद्र होने के कारण ही उन्हें चंद्रघंटा कहा गया है। उनके 10 हाथों में त्रिशूल, धनुष, गदा और तलवार आदि शस्त्रों को देखा जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र में माता का संबंध मंगल ग्रह से माना गया है। इस दिन की पूजा में दूध या मेवा से निर्मित चीजों का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय ब धरती पर राक्षसों ने अपना आधिपत्य कर लिया और लोगों को हर तरह से परेशान कर दिया। यहां तक कि महिषासुर नाम के राक्षस ने देवताओं को भी नहीं छोड़ा और देवराज इंद्र के सिंहासन को हथियाने स्वर्ग लोक तक पहुंच गया। ऐसे में धरती और स्वर्ग को राक्षसों से मुक्त कराने देवतागण भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पहुंचे. जिसके बाद तीनों देवों ने क्रोध जताया। इस दौरान उनके मुख से एक दैवीय ऊर्जा निकली, जो मां चंद्रघंटा के रूप में अवतरित हुईं. देवी चंद्रघंटा को भगवान शिव ने त्रिशूल, विष्णु जी ने चक्र, इंद्र ने अपना घंटा और सूर्य ने अपना तेज दिया. जिसके बाद देवी चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध किया।

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लेखक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव