देवघर (शहर परिक्रमा)

देवघर सेंट्रल स्कूल में ग्रैंड पेरेंट्स डे का आयोजन

देवघर: बदलते वैश्विक परिदृश्य में शिक्षा बहुआयामी सी हो गई है। सैद्धांतिक शिक्षा के साथ साथ संस्कार एवं मूल्यपरक शिक्षा जीवन का अभिन्न अंग हो गया है। नित्य नई नई तकनीक जीवनी के प्रवाह को ओर गतिमय बना दिया है। ऐसे समय केवल पुस्तक की परिधि में बच्चों को बांधना उनके साथ अपराध ही होगा। इसलिए विद्यालयों का यह कर्तव्य हो जाता कि बच्चों को भारतीय संस्कार पर आधारित वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाली शिक्षा प्रदान की जाय। बड़े बुजुर्ग दादा दादी हों या नाना नानी या पड़ोस के अन्य सभी उस विशाल दरख्त की तरह हैं जिनकी सघन शीतल छावं में परिवार सकून पाता है और पल्लवित पुष्पित होता है। बच्चों के तो ये भगवान होते हैं जो न केवल उन्हें दुनियादारी से रूबरू कराते हैं बल्कि पौराणिक आख्यानों से भी जोड़ते हैं और महामानव बनने की एक मजबूत बुनियाद तैयार कर देते हैं।

उपरोक्त बातें स्थानीय देवघर सेंट्रल स्कूल के प्राचार्य सुबोध झा ने ग्रैंड पेरेंट्स डे अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा।


मौके पर सर्वप्रथम विद्यालय परिवार के नोनिहालो ने लघु नृत्य नाटिका के माध्यम से बच्चों के जीवन में बड़े बुजुर्गों विशेषतः दादा दादी, नाना नानी के अहम योगदानों को दर्शाया। पश्चात मोबाइल का बच्चों के जीवन में बढ़ते दुष्प्रभावों विशेषतः एकाकीपन को एक नाटिका के माध्यम से प्रस्तुत किया। रूठी हुई दादी को मनाने के लिए बच्चों ने गीत के माध्यम से दर्शाया। इसके साथ ही विद्यालय परिसर में पधारे देवतुल्य बुजुर्ग अविभावकों को पुनः वापस उनके बचपन में ले जाने के लिए विभिन्न प्रकार के खेलों का आयोजन किया गया। आश्चर्य की बात यह रही कि उन्होंने अपने उम्र को झुठलाते हुए खेलों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और अधिकाधिक पुरुस्कार अपने नाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

कार्यक्रम के आयोजन में नेहा कुमारी, अंशु कुमारी, जोया सरकार, प्रतिभा मिश्रा व अन्य का अमुल्य योगदान रहा।

पूछे जाने पर प्राचार्य सुबोध झा ने कहा कि यह विद्यालय आचार्य श्री सुदर्शन जी महाराज के शिक्षा दर्शन पर उनके संरक्षण में चलने वाला शिक्षण संस्थान है जहाँ बच्चों को कक्षा की परिधि से बाहर निकालकर संस्कार युक्त शिक्षा प्रदान की जाती है। विद्यालय प्रधान होने के नाते यह हमारा कर्तव्य हो जाता है कि समाज में एक सापेक्ष माहौल बनाएं जिनमें पलकर हमारी भावी पीढ़ी स्वस्थ मानसिकता के साथ बड़े हो एवं स्वस्थ समाज को बनाने में अपना योगदान दें।