दुमका (शहर परिक्रमा)

धूमधाम से मनाई गई जगत् जननी माता शारदा देवी का 172वीं जयंती

दुमका: रामकृष्ण आश्रम, दुमका में रविवार को स्वामी विश्वरूप महाराज की अध्यक्षता एवं कुशल नेतृत्व में स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस के आध्यात्मिक सहधर्मिणी जगत जननी पवित्र माता शारदा देवी का 172 वीं जन्मोत्सव धूमधाम से श्रद्धा एवं निष्ठापूर्वक मनाई गई।

इस शुभ अवसर पर रामकृष्ण आश्रम के अनुवाईयो द्वारा विशेष मंगला आरती,वैदिक मंत्रोच्चार,विशेष भजन कीर्तन एवं माता शारदा देवी का नाम संकीर्तन का गायन किया गया। सुबह 05: 30 बजे मंगल आरती,08:00 बजे विशेस पूजा,09:00 बजे चंडीपाठ, 10:30 बजे विश्व कल्याण हेतु हवन, 12:00 बजे प्रवचन एवं 01:30 बजे से भक्त सेवा का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

पुजारी के रूप में मुर्शिदाबाद से आए पलाश मुखर्जी,एवं बालानंद आश्रम देवघर के प्रधान पुजारी श्रवण कुमार ठाकुर तथा सहयोगी के रूप में कुमड़ाबाद के शिशिर चक्रवर्ती ने मिलकर पूजा एवं हवन कार्यक्रम सम्पन्न कराया। आश्रम के ऋषि श्रीकांत एवं अरिंदम ने साज सज्जा में भरपूर सहयोग किया। इस शुभ अवसर पर स्वामी विश्वरूप महराज ने एक विचारपूर्ण एवं ज्ञानवर्धक प्रवचन के माध्यम से माता शारदा देवी के जीवन दर्शन एवं शिक्षाओं के बारे मे उपस्थित जनसमूह को जानकारी साझा की।

स्वामी जी ने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति ही मानव जीवन का एकमात्र उद्देश्य है। रामकृष्ण संघ में माता शारदा देवी को श्री माँ के रुप मे जाना जाता है। माता शारदा देवी जगत जननी की अवतार थी।स्वामी जी ने बताया कि पवित्र माता शारदा देवी त्याग एवं ममता की प्रतिमूर्ति थी। माँ शारदा देवी का आत्म त्याग,सेवा भावना एवं एवं सभी जीवों के प्रति निश्चल स्नेह एवं ममता के साथ उनका सम्पूर्ण जीवन दर्शन हम सबके लिए अनुकरणीय है। स्वामी जी ने कहा कि माता शारदा देवी का जीवन दर्शन नक्षत्र मंडल मे चमकता हुआ ध्रुवतारा की तरह अटल जो हम सबके लिए सदा अनुकरणीय है। स्वामी जी ने उपस्थित जनसमूह को लोककल्याण में सहभागी बनने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि रामकृष्ण आश्रम लोककल्याण एवं पुण्य कार्य के लिए हमेशा क्रियाशील है। सभी भक्त जन रामकृष्ण आश्रम को तन मन धन से सहयोग अवश्य करें। स्वामी जी ने कहा कि विद्या दान भी महान दान है।उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए वक्ता राजकुमार हिम्मत सिंहका ने कहा कि संतों की महिमा भगवान से भी बड़ा है।श्री हिम्मत सिंहका ने कहा कि सत्संग से अध्यात्म एवं ज्ञान रूपी अमृत फल प्रप्त होता है क्योंकि सत्संग में अध्यात्म एवं ज्ञान का अमृत बर्षा होती है।श्री हिम्मत सिंहका ने कहा कि धन की तीन गति होती है। धन को भोगिए,दान कीजिए नही तो अंत मे धन का नाश हो जायेगा।

प्रधान वक्ता कुल्टी से आये स्वपन चक्रवर्ती ने कहा कि श्री माँ शारदा देवी आध्यात्म एवं ममता की संवाहक थी। माँ अनपूर्णा थी।श्री चक्रवर्ती ने कहा कि श्री माँ द्वारा लोककल्याण के लिए किया हुआ कार्य, जीवन दर्शन एवं उनका विचार युगो युगो तक इस धरा पटल पर मानव के मन मष्तिष्क में अमिट छाप छोड़ता रहेगा। माता शारदा देवी कण कण में एवं सभी भक्तों के दील में विराजमान हैं। स्वपन चक्रवर्ती ने कहा कि मानव सर्वश्रेष्ठ जीव है। जगत कल्याण ही मानव का धर्महै।दिवाकर महतो ने बताया कि माता शारदा देवी को स्वामी रामकृष्ण परमहंस के प्रथम शिष्या के रुप मे जाना जाता है। श्री दिवाकर ने कहा कि जगत जननी माता शारदा देवी अवतरण लोककल्याण के लिए हुआ था।कार्यक्रम के बाद भक्तों के बीच महाप्रसाद वितरित किया गया जो प्रेम एवं आध्यात्मिक पोषण का प्रतीक था। पूरे कार्यक्रम में पूरा परिसर एवं वातावरण आध्यात्मिक प्रतिध्वनि से गुंजयमान रहा। माता के जन्मोत्सव में भाग लेने वाले भक्तों को धन्यवाद ज्ञापन एवं मंच संचालन दिवाकर महतो ने किया। कुल्टी से आई शारदा मित्र ने उदयोधन संगीत, वनानी साहा ने कविता पाठ किया। कुल्टी से आये भक्त एवं मुख्य अतिथि डॉ0 सत्यव्रत साहा, कुल्टी भक्त वृन्द के नीतू घोष, गोपी नाथ मित्र एवं जयन्त कुमार ने भी जगत जननी माता शारदा देवी को नमन करते हुए अपने विचारों को भक्त जनों के बीच साझा किया।कार्यक्रम को सफल बनाने में विपिन,श्रीकांत, ऋषि, पार्थ सारथी सेन, अरिनंदम, बाबू सेन, शिबू बाबू, ऋषि की माँ सहित सभी भक्तों के अलावे कुल्टी के भक्त समूह की मुख्य भूमिका रही।

संवाददाता: आलोक रंजन