भव्य शोभायात्रा के साथ शुरू हुआ 22 वां अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन
देवघर: भव्य शोभायात्रा के साथ रविवार को 22 वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन की शुरुआत बाबा नगरी में हुई। कार्यक्रम स्थल मैरिज गार्डन से शुरू हुई पारंपरिक शोभायात्रा देवघर के मुख्य मार्गों से होते हुए बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर में जाकर समाप्त हुई। रास्ते में शोभायात्री बोलबम और हर हर महादेव के जोरदार नारे लगाए।
उद्घाटन सत्र की विधिवत शुभारंभ बाबा मंदिर के सरदार पंडा, झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री राज पलिवार, बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य प्रो दिलीप कुमार चौधरी, श्री बैद्यनाथ पंडा कीर्तन मंडली के महामंत्री पं विनोद दत्त द्वारी, ईसीएल के पूर्व महाप्रबंधक नारायण झा, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक कपिल देव प्रसाद सिंह, ई ओमप्रकाश मिश्र, अशोक मिश्र, नेपाल के प्रतिनिधि राजीव कुमार झा व अन्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
उद्घाटन भाषण करते हुए झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री राज पलिवार ने कहा कि राम जन्म भूमि पर विशाल मंदिर का निर्माण होना निश्चित रूप से गर्व की बात है, लेकिन यह गौरव तब तक पूर्णता हासिल नहीं कर सकता, जब तक कि मैया सीता की जन्म भूमि का उद्धार नहीं हो जाता. उन्होंने कहा कि सीतामढ़ी के पुनौरा धाम में स्थित माता सीता के जन्म भूमि के दर्शन के बिना रामलला का दर्शन अधूरा है। क्योंकि बिना सिया के राम स्वयं अधूरे हैं। उन्होंने मां सीता के मातृलिपि मिथिलाक्षर की चर्चा करते हुए उपस्थित जनों से अपने घर का नाम अनिवार्य रूप से मिथिलाक्षर लिपि में लिखने का संकल्प लेने का आह्वान करते कहा कि बिना दैनिक प्रयोग में लाए इस धरोहर लिपि को जीवंत बनाए नहीं रखा जा सकता। उन्होंने मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए अलग मिथिला राज्य के गठन को अपरिहार्य बताया ।
मुख्य अतिथि के रूप में अपना विचार रखते हुए बैद्यनाथ मंदिर के सरदार पंडा गुलाब नंद ओझा ने कहा कि जगत जननी मां पार्वती का चरित्र मिथिला एवं बाबाधाम के सांस्कृतिक चेतना की केंद्रीय भावना में सन्निहित है। पूरी दुनिया में अगर हमारी संस्कृति सर्वश्रेष्ठ संस्कृति के रूप में स्थापित है तो यह भगवान श्रीराम और माता जानकी के साथ ही बाबा बैद्यनाथ एवं माता पार्वती द्वारा प्रस्तुत आदर्श उदाहरण के कारण ही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पं विनोद दत्त द्वारी ने कहा कि माता जानकी के बगैर राम और माता पार्वती के बिना बाबा बैद्यनाथ की कल्पना नहीं की जा सकती। क्योंकि दोनों ने ही अपने जीवन में विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए जिस मर्यादा को स्थापित किया वह मिथिला की बेटी सीता और पार्वती के सहयोग के बिना संभव नहीं था।
अतिथियों का स्वागत करते हुए अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के प्रधान महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि बाबा नगरी देवघर और मिथिला आपस में अत्यंत गहराई से जुड़े हैं। हमारे संबंध अत्यंत प्राचीन होने के साथ-साथ स्वर्णिम परंपरा के साक्षी रहे हैं। उन्होंने उपस्थित पंडा समाज एवं विद्वत जनों से रामलला के साथ माता सीता के जन्म भूमि पर भी विशाल मंदिर निर्माण में सहभागी बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन हमारी प्राचीन सांस्कृतिक परंपराओं को सुदृढ़ करने के साथ ही मिथिला और देवघर के जन-जन को एक बार फिर से सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बांधने में मील का पत्थर साबित होगा। मौके पर प्रो दिलीप कुमार चौधरी ने जनक नंदिनी सीता की जन्मभूमि मिथिला को निराकार ब्रह्म को साकार करने वाली धरती बताते हुए इसे कुशल व्यवहार के माध्यम से सभ्यता एवं संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन का केंद्र बिंदु बताया। बेनीपुर के विधायक प्रो विनय कुमार चौधरी अपने उद्बोधन में मिथिला भूमि को ज्ञान व प्रेम के समन्वय का जीता जागता प्रमाण बताया।
कार्यक्रम में पंडा समाज की अद्भुत जुटान के बीच गौरवशाली परंपरा के तहत मिथिला एवं बाबाधाम के बीच सांस्कृतिक सेतु का निर्माण करने वाले करीब दर्जनों लोगों को मिथिला रत्न सम्मान उपाधि से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के अध्यक्ष डा महेंद्र नारायण राम, मणिकांत झा, नीलम झा, पुरूषोत्तम वत्स, नवल किशोर झा, सुषमा झा, सोनी चौधरी, शंभू नाथ मिश्र, डा दिलीप कुमार झा, डा महानंद ठाकुर, हरि किशोर चौधरी मामा आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। कार्यक्रम में आकर्षक विद्यापति संगीत समारोह का भी आयोजन किया गया. इसमें पं कुंजबिहारी मिश्र, रामबाबू झा, केदारनाथ कुमर, डा सुषमा झा, सोनी चौधरी, विभा झा, नीतू कुमारी आदि ने भावपूर्ण प्रस्तुति देकर उपस्थित दर्शकों का दिल जीतने में कामयाबी हासिल की। मौके पर सम्मेलन की स्मारिका बैद्यनाथम् एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त पीजी हिंदी विभागाध्यक्ष डा रमाकांत झा के कथा काव्य दूसरी धरती का विमोचन भी किया गया।
संवाददाता: अजय संतोषी