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25 जनवरी: राष्ट्रीय मतदाता दिवस

राष्ट्रीय मतदाता दिवस भारत में प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को मनाया जाता है। इस महत्त्वपूर्ण दिवस का आयोजन सभी भारतवासियों को अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्य की याद दिलाता है और साथ ही यह भी बताता है कि हर व्यक्ति के लिए मतदान करना ज़रूरी है। भारत निर्वाचन आयोग का गठन 25 जनवरी, 1950 को हुआ था। भारत सरकार ने राजनीतिक प्रक्रिया में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस ’25 जनवरी’ को ही वर्ष 2011 से ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ के रूप में मनाने की शुरुआत की थी। साल 2011 में यूपीए-2 की सरकार थी। उस समय राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे। इस साल चुनाव आयोग की स्थापना को 61 साल हो चुके थे। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने 25 जनवरी से ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ के रूप में इस दिन को मनाने की शुरुआत की। इस दिन को मनाने के पीछे दो वजहें थीं : पहली समावेशी और दूसरी गुणात्मक भागीदारी। इसका मकसद था कि कोई भी मतदाता मतदान करने में पीछे न रह जाए। इसके पीछे एक और मकसद था। चुनाव आयोग इस दिन ऐसे मतदाताओं की पहचान करता है, जिनकी उम्र 18 साल हो चुकी हो। उन सभी के नाम मतदाता सूची में शामिल किए जाते हैं। 2021 में मतदाता दिवस की थीम सभी मतदाता सशक्त, सतर्क, सुरक्षित और जागरूक बनें थी। राष्‍ट्रीय मतदाता दि‍वस के पीछे निर्वाचन आयोग का उद्देश्‍य अधि‍क मतदाता, वि‍शेष रूप से नए मतदाता बनाना है। इसके लि‍ए इस अवसर को सार्वभौम वयस्‍क मतदान को पूर्ण वास्‍तवि‍कता बनाना और इस प्रकार भारतीय लोकतंत्र की गुणवत्‍ता को बढ़ाना है। यह दि‍वस मतदाताओं में मतदान प्रक्रि‍या में कारगर भागीदारी के बारे में जानकारी फैलाने के रूप में भी प्रयोग कि‍या जाता है। भारत के संविधान के मुताबिक़, जो भारत का नागरिक है और जिसकी उम्र 18 साल या उससे ज्यादा है। बिना किसी भेदभाव या सिटीजनशिप एक्ट के तहत इन लोगों को वोटिंग अधिकार दिया जाता है। जिन एनआरआई के पास इंडियन पासपोर्ट होता है, उन्हें भी वोट देने का अधिकार होता है।

pradip singh Deo
लेखक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव

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