सारे मानकों को ध्यान में रखते हुए ही खनन कार्य करेंगे: उपायुक्त
दुमका: जिले के उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे, खान सुरक्षा निदेशक, क्षेत्र संख्या-3, मध्य अंचल, धनबाद साजेश कुमार एवं खान सुरक्षा उपनिदेशक मिथलेश कुमार की उपस्थिति में मंगलवार को खान अधिनियम, 1952 एवं खान नियम, 1955 के तहत् सिलिकोसिस बीमारी से प्रभावित खान श्रमिकों का व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा सर्वेक्षण (सिलिकोसिस) का आयोजन किया गया।
उपायुक्त ने दुमका जिला अन्तर्गत विभिन्न अंचलों में चल रहे पत्थर खदानों में कार्यरत श्रमिकों एवं खान मालिकों को संबोधित करते हुए कहा कि दुमका जिले में खनन गतिविधियां बहुत अधिक मात्रा में चल रही है, आने वाले समय में इस जिले में बहुत ही वृहद पैमाने पर खनन का कार्य होने वाला है। स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराए ताकि पालनयन को कम किया जा सके। प्रायः यह देखा जाता है कि खनन क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर पूरी एहतियात नहीं बरती जाती है। जिस वजह से श्रमिक बीमार हो सकते है। आपकी छोटी छोटी व्यवस्था से श्रमिकों को बीमार होने से बचाया जा सकता है। सबसे बड़ी समस्या खनन क्षेत्र में धूल से होती है। धूल के कारण श्रमिकों को सिलिकोसिस, बहरापन, लंग की समस्या होती है। सभी खनन कार्यों में श्रमिकों को प्रति 5 घंटे में नए मास्क का उपयोग करना अनिवार्य है, सर के बाल को बचाने के लिए कैप का उपयोग करे, ब्लास्टिंग में नई तकनीक का इस्तेमाल करे ताकि अधिक ध्वनि को कम किया जा सके और श्रमिकों को बहरापन से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि किसी भी श्रमिक को खान कार्यों में लगाने से पूर्व उसका मेडिकल जांच करवा ले कि वह पहले से कोई बीमारी से ग्रसित तो नहीं। अगर ऐसा है तो उन्हें डस्ट फ्री क्षेत्र में ही कार्य करवाए। आपके एहतियात नहीं बरतने के वजह से अगर किसी श्रमिक की जान जाएगी तो इसमें आपको काफी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। इसलिए आपसे यह उम्मीद है कि सारे मानकों को ध्यान में रखते हुए ही खनन कार्य करेंगे।

इसी क्रम में खान सुरक्षा निदेशक, क्षेत्र संख्या-3, मध्य अंचल, धनबाद साजेश कुमार ने उपस्थित लोगों को व्यवसायिक जांच शिविर से संबंधित सभी बातों से अवगत कराया। उन्होंने प्रत्येक 3 महीने में खनन क्षेत्र में स्वास्थ्य जांच शिविर लगाने की बात कही। कहा कि 2017 से लगातार पूरे खनन क्षेत्र में स्वास्थ्य जांच शिविर लगाया जा रहा है। ओर चिंता का विषय यह है कि अब तक झारखंड में लगभग 50 सिलिकोसिस के मरीज मिल चुके है। हमें इस बीमारी को फैलने से रोकने का कार्य करना है। इसके लिए खनन क्षेत्र में पानी के छिड़काव की व्यवसाय रखे। पूरे खनन क्षेत्र में पानी के छिड़काव मात्र से ही 80% डस्ट को रोका जा सकता है। एक्सकावेटर ऑपरेटर्स को क्लोसड एरिया में बैठा कर कार्य करने की व्यवस्था दे। कैप, मास्क का उपयोग अवश्य करें।
सिविल सर्जन डॉ. बच्चा प्रसाद सिंह ने कहा कि गोपीकांदर एवं शिकारीपाड़ा के खनन क्षेत्र में लोगों की स्वास्थ्य की स्थिति काफी खराब है। यह डस्ट की वजह से होता है। डस्ट में कार्य कर रहे लोगों का खासी होना, छाती भारी होना, कान से सुनाई कम देना इत्यादि कई बीमारी होती है। खनन कार्य में श्रमिकों को फुल बॉडी कवर करवा कर ही काम कराए। प्रति 3 महीने में स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएंगे और सभी श्रमिकों एवं ग्रामीणों का स्वास्थ्य जान कराया जाएगा।
मौके पर खान सुरक्षा उप निदेशक, सिविल सर्जन, जिला खनन पदाधिकारी, जिला अन्तर्गत विभिन्न अंचलों में चल रहे पत्थर खदानों में कार्यरत श्रमिक एवं खान मालिक सहित अन्य उपस्थित थे।
संवाददाता: आलोक रंजन