देवघर (शहर परिक्रमा)

विशूआ संक्रांति पर बाबा को लगा सत्तू का भोग

देवघर: 14 अप्रैल मेष संक्रांति से एक माह तक चलने वाला विशूआ संक्रांति पर्व आज सोमवारसे आरंभ हुआ।पौराणिक परंपरा के अनुसार 14 अप्रैल से बाबा को चना सत्तू, जौ सत्तू, आम व गुड़ का भोग लगाया गया। इसके अलावा बाबा बैद्यनाथ को त्रिपद के सहारे चांदी के घट गलंतिका के माध्यम से टपकते हुए जल से बाबा को शितलता प्रदान की गई। दिन की पूजा के समापन के साथ ही त्रिपद लगाया गया। इसके ऊपर चांदी के घड़े गलंतिका में गंगा जल भर बाबा के ऊपर रखा गया। इसके अलावा शिवलिंग पर मखमली कपड़ा रखा गया, उसके ऊपर अनवरत गंगाजल टपकता रहेगा वही गलंतिका शाम के 7 बजे तक लगा रहता है। जो श्रृंगार पूजा के समय त्रिपद व गलंतिका को हटाया जाता है। इतना ही नहीं बाबा भोलेनाथ को शितलता देने के लिए सोमवार को श्रृंगार पूजा के समय ताड़ के पंखे से हवा किया जाता है। यह सिलसिला पूरे एक माह वृषभ संक्रांति तक चलेगा।
संजय महाराज बताते हैं कि पितृ विहीण अपने पूर्वजों को घाट दान करते हैं। विशूआ संक्रांति के दिन शास्त्रों के अनुसार कहा गया है कि जो प्राणी भटकते रहते हैं उन्हें वैशाख माह में प्यास लगती है जिसके लिए जीवित लोग अपने पूर्वजों को घट दान के माध्यम से जल दान करते हैं और उन्हें आवाहन से प्राप्त होता है। तब उनकी आत्मा को तृप्ति मिलती है जिससे अपने वारिसान को आशीर्वाद देते हैं। वैशाख माह में पानी दान करने से स्वर्ण दान करने जितना फल की प्राप्ति मिलती है। विशूआ संक्रांति को बड़ी संख्या में मंदिर प्रांगण एवं अपने घरों में लोग घट दान करते हैं जिसमें चने का सत्तू जौ का सत्तू गुड तार का पंखा मिट्टी का घड़ा पलाश का पत्ता आम का टिकोला व सूती गमछा आदि दान करते हैं। साथ ही जगह-जगह पर प्याऊ भी लगाते हैं जिससे रास्ते में जाने आने वाले राहगीर को प्यास लगने पर उनकी प्यास बुझाई जा सके।

संवाददाता: अजय संतोषी