3 जून: बालकृष्ण भट्ट व जॉर्ज फ़र्नांडिस की जयंती, कृष्ण बल्लभ सहाय की पुण्यतिथि
आज साहित्यकार बालकृष्ण भट्ट एवं राजनीतिज्ञ जॉर्ज फ़र्नांडिस की जयंती तथा कृष्ण बल्लभ सहाय की पुण्यतिथि है।
बालकृष्ण भट्ट आधुनिक हिन्दी साहित्य के शीर्ष निर्माताओं में से एक थे। उनका जन्म 3 जून, 1844 को हुआ था। वे एक सफल नाटककार, पत्रकार, उपन्यासकार और निबन्धकार थे। उन्होंने निबन्ध, उपन्यास और नाटकों की रचना करके हिन्दी को एक समर्थ शैली प्रदान की। ये पहले ऐसे निबन्धकार थे, जिन्होंने आत्मपरक शैली का प्रयोग किया था। उन्हें हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेज़ी, बंगला और फ़ारसी आदि भाषाओं का अच्छा ज्ञान था। इन्होंने हिन्दी साहित्य की विविध रूपों में सेवा की। लगभग बत्तीस वर्षों तक ‘हिन्दी प्रदीप’ का संपादन कर भट्टजी अपने विचारों का व्यक्तिकरण करते रहे। ये ‘भारतेन्दु युग’ की देदीप्यमान मौन विभूति होने के साथ-साथ ‘द्विवेदी युग’ के लेखकों के मार्ग-दर्शक और प्रेरणा स्त्रोत भी रहे। उनका निधन 20 जुलाई, 1914 ई. में हुआ।
जॉर्ज मैथ्यू फ़र्नांडिस एक पूर्व ट्रेड यूनियन नेता थे, जो राजनेता, पत्रकार और भारत के रक्षामंत्री रहे। उनका जन्म 3 जून, 1930 को हुआ था। उन्होंने व्यापारिक संघ के नेता, पत्रकार, राजनेता और एक मंत्री के तौर पर अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। आजीवन उन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। जॉर्ज फ़र्नांडिस जनता दल के प्रमुख नेता थे और बाद में समता पार्टी का भी गठन किया। अपने राजनैतिक जीवन में उन्होंने केंद्र में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने संचार, उद्योग, रेलवे और रक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में अकेले ईसाई मंत्री थे। भारत सरकार ने उन्हें 2020 में मरणोपरांत ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया है। उनकी मृत्यु 29 जनवरी, 2019 को हुई थी।
वहीं कृष्ण बल्लभ सहाय भारत के सुप्रसिद्ध राष्ट्रभक्त एवं क्रांतिकारी थे, जो बाद में पहले बिहार के राजस्व मंत्री और फिर संयुक्त बिहार के मुख्यमंत्री भी बने। उनकी मृत्यु 3 जून, 1974 को हुई थी। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े थे। वह 2 अक्टूबर 1963 से 5 मार्च 1967 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे। उनका जन्म बिहार के पटना ज़िले में सेखपुर नामक गांव में 31 दिसम्बर, 1898 में हुआ था। वे 1920 के असहयोग आन्दोलन में शामिल हुए थे। सन 1923 में सहाय ने समाज पार्टी के मंत्री के रूप में बिहार विधान परिषद में प्रवेश किया। सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। कृष्ण बल्लभ सहाय ने स्वामी सहजानंद द्वारा चलाए गये किसान आन्दोलन में सक्रिय रूप से सहयोग किया था।
