ज्ञान मार्ग के समुच्चय का संप्रदाय है उदासीन संप्रदाय: महंत मेहश्वर दास
जसीडीह। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण की भ्रमणशील जमात एक चलता फिरता तीर्थ स्वरूप है। सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार के लिए भारत के शहर से ग्रामीण स्थानों पर भ्रमण करते रहते हैं,जहां सत्संग प्रवचन धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं,यहां साधु संत वैदिक विधि-विधान के साथ गणेश-पंचदेव एवं कलश पूजन कर प्रवास करते हैं। श्री सत पंच परमेश्वर भ्रमणशील जमात झारखंड में लगभग चालीस बर्ष पूर्व 1984 में जमात पहुंची थी। पुन. 2024के मार्च में भ्रमणशील जमात बिहार की यात्रा के बाद झारखंड के जसीडीह स्थित श्रीहंसदेवजी अवधूत ट्रस्ट एस्टेट कैलाश पहाड़ आश्रम (अमरपुर-खवासडीह)जसीडीह में प्रवास कर रही है। 7 जून को यात्रा दूसरे स्थान के लिए प्रस्थान करेगी।
यह बात श्री सत पंच परमेश्वर पंचायती अखाड़ा बडा उदासीन, मुख्यालय प्रयागराज श्रीमहंत मेहश्वर दास, मुखिया महंत दुर्गादास ने पत्रकारों के बातचीत करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि प्रयाग में चातुर्मास बिताएंगे। उन्होंने कहा कि वैदिक परंपरा के अनुरूप प्रवास के दौरान संत विशेष पूजन, ध्यान व वैदिक परंपराओं का निर्वहन करते हैं। सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार के लिए देश के चारो धाम तीर्थ स्थल कुंभ मेला सहित देश भर में भ्रमण पर रहती हैं जमात।
पहले भ्रमणशील जमात में हाथी,घोड़े ऊंट के साथ पूज्य संत की जमात देशभर का भ्रमण करती थी। समय के साथ हर क्षेत्र मे बदलाव के मद्देनजर अखाड़ा के पूज्य संतो की भ्रमणशील जमात मे भी बदलाव किया गया। जहां वर्तमान समय मे हाथी,घोड़े बैलगाड़ी के स्थान पर अब वाहन के माध्यम से भ्रमणशील जमात देश भ्रमण कर रही है। यात्रा का मकसद लोगो मे सनातन के प्रति जागरूकता पैदा करना आध्यात्मिक तथा मठो की स्थित का अवलोकन भी करना है,लोगो मे अध्यात्मिक भाव बना रहे इसकी महती जवाबदेही संतो की हैं। पहले भ्रमणशील जमात काबुल तक जाती थी,जिसका रिर्काड आज भी प्रयागराज मे संरक्षित है,उदासीन आचार्य श्रीचंद्र देव जी इस परंपरा के प्रर्वतक है उनकी मर्यादाओ का पालन आज भी किया जा रहा है।हमलोग को अपने गुरू वचन पर विश्वास है ओर उसी का पालन कर रहे हैं।यह संस्था जगह-जगह सनातन का प्रचार करती है सिर्फ धर्म का ही प्रचार करना इसका मकसद नही है बल्कि मानव कल्याण के कार्यो से भी जुड़ी हुई है,संगठन द्वारा जनहित के अनेक कल्याण कारी काम किए जा रहे है खासियत यह है कि संत अपने काम का प्रचार नही करते सिख धर्म के प्रर्वतक श्री गुरुनानक देव जी के सुपत्र भगवान श्रीचंद्र महाराज ने उदासीन सम्प्रदाय की स्थापना की ओर भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए शैव,वैश्विक शाक्त, सौर तथा गणपतत्य मत को मानने वाले सभी धर्माचार्य को संगठित कर पंचायत उपासना प्रतिपादित किया।इस संप्रदाय मे हिन्दु धर्म में जाति पाती,ऊच नीच,छोटे बडे का भेद मिटाकर समाजिक समरसता ओर मानव मात्र की मुक्ति के लिए नई राह दिखाई साथ ही हिन्दु धर्म मे वैचारिक वाद विवाद कौन मिटाकर सत सनातन धर्म को समन्वय का विराट रूप प्रदान किया ओर भारतीय संस्कृत की महान परंपरा को जन-मानस को समझाया,लोग कल्याण की परंपरा को आगे बढाते हुए इस संस्था द्वारा संस्कृत पाठशाला,मेडिकल कॉलेज का संचालन किया जा रहा है । अनुसार दरअसल में ओर ज्ञान मार्ग के समुच्चय का संप्रदाय है उदासीन संप्रदाय।
इस मौके पर जसीडीह स्थित श्रीहंसदेवजी अवधूत ट्रस्ट एस्टेट कैलाश पहाड़ आश्रम (अमरपुर-खवासडीह) के महंथ स्वामी निर्मल दास जी ने कहा कि श्रीहंसदेवजी अवधूत का नाम प्रमुख संतों में है।उन्हीं के द्वारा यह स्थापित आश्रम है। उन्होंने 60 के दशक में यहीं समाधि ली थी। इसका विकास किया जाएगा।इस अवसर पर गवर्निग ट्रस्टी डा आतानू कुमार चक्रवर्ती ने आश्रम के संदर्भ में जानकारी दी।