विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस आज
जल-जंगल-जमीन… इन तीन तत्वों के बिना प्रकृति अधूरी है : डॉ. प्रदीप सिंह देव
जल-जंगल-जमीन… इन तीन तत्वों के बिना प्रकृति अधूरी है। विश्व में सबसे समृद्ध देश वही हुए हैं, जहाँ यह तीनों तत्व प्रचुर मात्रा में हों। भारत देश जंगल, वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध है। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को मनाया जाता है। वर्तमान परिपेक्ष्य में कई प्रजाति के जीव जंतु एवं वनस्पति विलुप्त हो रहे हैं। विलुप्त होते जीव जंतु और वनस्पति की रक्षा का विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर संकल्प लेना ही इसका उद्देश्य है।
साइंस एंड मैथेमेटिक्स डेवेलॉपमेंट आर्गेनाईजेशन के राष्ट्रीय सचिव डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव कहते हैं कि प्रकृति संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्रदूषण के कारण सारी पृथ्वी दूषित हो रही है और निकट भविष्य में मानव सभ्यता का अंत दिखाई दे रहा है। इस स्थिति को ध्यान में रखकर सन 1992 में ब्राजील में विश्व के 174 देशों का ‘पृथ्वी सम्मेलन’ आयोजित किया गया था। इसके पश्चात् सन 2002 में जोहान्सबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाए गये। वस्तुतः प्रकृति के संरक्षण से ही धरती पर जीवन का संरक्षण हो सकता है, अन्यथा मंगल ग्रह आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन-चक्र भी एक दिन समाप्त हो जायेगा। जल, जंगल और जमीन, इन तीन तत्वों के बिना प्रकृति अधूरी है। विश्व में सबसे समृद्ध देश वही हुए हैं, जहाँ यह तीनों तत्व प्रचुर मात्रा में हों। भारत देश जंगल, वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध है। सम्पूर्ण विश्व में बड़े ही विचित्र तथा आकर्षक वन्य जीव पाए जाते हैं। हमारे देश में भी वन्य जीवों की विभिन्न और विचित्र प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इन सभी वन्य जीवों के विषय में ज्ञान प्राप्त करना केवल कौतूहल की दृष्टि से ही आवश्यक नहीं है, वरन् यह काफ़ी मनोरंजक भी है। भूमंडल पर सृष्टि की रचना कैसे हुई, सृष्टि का विकास कैसे हुआ और उस रचना में मनुष्य का क्या स्थान है? प्राचीन युग के अनेक भीमकाय जीवों का लोप क्यों हो गया और उस दृष्टि से क्या अनेक वर्तमान वन्य जीवों के लोप होने की कोई आशंका है? मानव समाज और वन्य जीवों का पारस्परिक संबंध क्या है? यदि वन्य जीव भूमंडल पर न रहें, तो पर्यावरण पर तथा मनुष्य के आर्थिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ेगा? तेज़ीसे बढ़ती हुई आबादी की प्रतिक्रिया वन्य जीवों पर क्या हो सकती है आदि प्रश्न गहन चिंतन और अध्ययन के हैं। इसलिए भारत के वन व वन्य जीवों के बारे में थोड़ी जानकारी आवश्यक है, ताकि लोग भलीभाँति समझ सकें कि वन्य जीवों का महत्व क्या है और वे पर्यावरण चक्र में किस प्रकार मनुष्य का साथ देते है। हमें पर्यावरण संरक्षण के प्रयास इस प्रकार करना है : जंगलों को न काटे, जमीन में उपलब्ध पानी का उपयोग तब ही करें जब आपको ज़रूरत हो, कार्बन जैसी नशीली गैसों का उत्पादन बंद करे, उपयोग किए गए पानी का चक्रीकरण करें, ज़मीन के पानी को फिर से स्तर पर लाने के लिए वर्षा के पानी को सहेजने की व्यवस्था करें, ध्वनि प्रदूषण को सीमित करें, प्लास्टिक के लिफाफे छोड़ें और रद्दी काग़ज़ के लिफाफे या कपड़े के थैले इस्तेमाल करें, जिस कमरे मे कोई ना हो उस कमरे का पंखा और लाईट बंद कर दें, पानी को फ़ालतू ना बहने दें, ज्यादा पैदल चलें और अधिक साइकिल चलाएं, प्रकृति से धनात्मक संबंध रखने वाली तकनीकों का उपयोग करें, जैसे- जैविक खाद का प्रयोग, डिब्बा-बंद पदार्थो का कम इस्तेमाल, जलवायु को बेहतर बनाने की तकनीकों को बढ़ावा दें, पहाड़ खत्म करने की साजिशों का विरोध करें।