स्वास्थ्य

विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर जागरूकता….

‘विश्व हेपेटाइटिस दिवस हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता प्रसारित करने और लोगों को शीघ्र निदान, रोकथाम और हेपेटाइटिस के उपचार को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिवर्ष 28 जुलाई को मनाया जाता है।

लेखिका अन्नु सिन्हा

विवेकानंद शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान की किशोर सदस्या अन्नु सिन्हा बताती है कि विश्व हेपेटाइटिस दिवस हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता प्रसारित करने और लोगों को शीघ्र निदान, रोकथाम और हेपेटाइटिस के उपचार को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिवर्ष 28 जुलाई को मनाया जाता है। हेपेटाइटिस संक्रामक बीमारियों का समूह है, जिसे हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई के रूप में जाना जाता है। हिपेटाइटिस एक संक्रामक रोग है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ये छूने मात्र से फैल जाता है। इसलिए परिवार के किसी सदस्य को यह रोग होने पर उसे बिल्कुल अलग रखने की ज़रूरत नहीं होती है, हालांकि परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमणमुक्त रखने के लिए कुछ सावधानियां बरतना आवश्यक है। हेपेटाइटिस यकृत की सूजन है, जिसे यकृत के ऊतकों में सूजन वाली कोशिकाओं की मौजूदगी से पहचाना जाता हैं। हेपेटाइटिस एक्यूट और क्रोनिक दो प्रकार का होता हैं। एक्यूट हेपेटाइटिस की अवस्था तब होती हैं, जब यह कम से कम छह महीनों तक रहता है। क्रोनिक हैपेटाइटिस की अवस्था तब होती हैं, जब यह लंबे समय तक बना रहता है। हेपेटाइटिस सीमित या लक्षण रहित हो सकता हैं, लेकिन यह प्राय: पीलिया, आहार में अरुचि और बेचैनी पैदा करता हैं। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2012, भारत में, हैपेटाइटिस वायरल के लगभग एक लाख उन्नीस हज़ार मामलों की सूचना प्राप्त हुयी। हैपेटाइटिस से पीड़ित रोगियों की संख्या वर्ष 2013 में बढ़ गई तथा यह संख्या बढ़कर दो लाख नब्बे हज़ार तक पहुँच गयी। भारत में, हेपेटाइटिस के महामारी वाले रूप का सबसे महत्वपूर्ण कारण हेपेटाइटिस ई वायरस है तथा हेपेटाइटिस ए वायरस बच्चों के बीच होना सामान्य है। गर्भावस्था के दौरान, हेपेटाइटिस का सबसे आम कारण एचईवी है। जब संक्रमित व्यक्ति अपनी पुरानी हेपेटाइटिस की अवस्था से अनभिज्ञ होता हैं, तब वह दूसरे व्यक्तियों को लंबे समय तक इस रोग के प्रसारण के माध्यम से संक्रमित कर सकता हैं, जिसके परिणामस्वरूप जीर्ण यकृत रोग, यकृत की विफलता और कैंसर हो सकता है।