राष्ट्रीय

ऋग्वेद की अनेक कविताओं का हिन्दी काव्यानुवाद करने वाले गोविन्द चन्द्र पाण्डे

गोविन्द चन्द्र पाण्डे 20वीं सदी के जाने माने चिंतक, इतिहासवेत्ता, संस्कृतज्ञ तथा सौंदर्यशास्त्री थे। वे संस्कृत, हिब्रू तथा लेटिन आदि अनेक भाषाओं के असाधारण विद्वान, कई पुस्तकों के प्रसिद्ध लेखक तथा हिन्दी कवि भी थे। प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति, बौद्ध दर्शन, साहित्य, इतिहास लेखन तथा दर्शन आदि में गोविन्द चन्द्र पाण्डे को विशेषज्ञता प्राप्त थी। अनेक चर्चित किताबों तथा सैंकड़ों शोध पत्रों के वे लेखक थे। वर्ष 2010 में उन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था।

गोविन्द चन्द्र पाण्डे

विवेकानंद शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव बताते हैं कि आचार्य गोविन्द चन्द्र पाण्डे का जन्म 30 जुलाई, सन 1923 में इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उत्तर प्रदेश के काशीपुर नगर में आकर बसे अल्मोड़ा के एक ग्राम से निकले सुप्रतिष्ठित पहाड़ी ब्राह्मण परिवार में गोविन्द चन्द्र पाण्डे का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम पीताम्बर दत्त पाण्डे था, जो कि भारत सरकार की लेखा सेवा के उच्च अधिकारी थे और माता का नाम प्रभावती देवी पाण्डे था। उनके द्वारा लिखे गये संस्कृति, दर्शन, साहित्य, इतिहास-विषयक अनेक आलोचनात्मक शोधग्रन्थ, काव्य-ग्रंथ और विविध शोधपूर्ण आलेख, भारत और विदेशों में सम्मानपूर्वक प्रकाशित हैं। उनके द्वारा संस्कृत भाषा में रचित मौलिक एवं अनूदित तथा प्रकाशित प्रमुख ग्रन्थ ‘दर्शन विमर्श:’ 1996 वाराणसी, ‘सौन्दर्य दर्शन विमर्श:’ 1996 वाराणसी, ‘एकं सद्विप्राः बहुधा वदन्ति’ 1997 वाराणसी, ‘न्यायबिन्दु’ आदि हैं। इसके अतिरिक्त संस्कृति एवं इतिहास विषयक पाँच ग्रन्थ और दर्शन विषय के आठ ग्रन्थों में ‘शंकराचार्य: विचार और सन्दर्भ‘ ग्रन्थ महनीय हैं। विविध साहित्यिक कृतियों में इनके द्वारा विरचित आठ अन्य ग्रन्थ संस्कृत वाड्मय को विभूषित कर रहे हैं। उन्होंने ऋग्वेद की अनेक कविताओं का सरस हिन्दी काव्यानुवाद भी किया था। दर्शन, इतिहास और संस्कृत के गहन ज्ञान ने उनसे जो ग्रंथ लिखवाए, उनमें गूढता, प्रौढ़ता और संक्षेप में बात कहने की प्रवणता का होना स्वाभाविक था। ‘राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी’ से छपे इनके ग्रंथों में ‘मूल्य मीमांसा’ इन सभी लक्षणों को चरितार्थ करती है। बौद्ध दर्शन और बुद्धकालीन भारत पर उनके ग्रंथ सर्वोत्कृष्ट माने जाते हैं। ज्योतिष पर भी उनका अधिकार था। बाद के दिनों में वेद वाङ्मय का सर्वांगीण विमर्श प्रस्तुत करने हेतु लिखा गया उनका ग्रंथ ‘वैदिक संस्कृति’ भी शिखर स्तर का ग्रंथ है। अपने जीवन के अंतिम दिनों में गोविन्द चन्द्र पाण्डे अस्वस्थ हो गए थे। 88 वर्ष की परिपक्व अवस्था में दिल्ली में 21 मई, 2011 को उनका निधन हुआ।

लेखक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव विवेकानंद शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान के केंद्रीय अध्यक्ष हैं