राष्ट्रीय

फिल्म गीतकार गुलशन बावरा की पुण्यतिथि आज

आज अपने वतन के यशस्वी हिन्दी फ़िल्म गीतकार गुलशन बावरा की पुण्यतिथि है। आज ही के दिन 7 अगस्त, 2009 को उनकी मृत्यु हुई थी। गुलशन बावरा हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध गीतकार थे। उनका मूल नाम गुलशन कुमार मेहता था। उन्हें ‘बावरा’ का उपनाम फ़िल्म वितरक शांतिभाई पटेल ने दिया था। वे पहले रेलवे में कार्यरत थे, लेकिन उनकी कल्पना की उड़ान ने उन्हें फ़िल्म उद्योग के आसमान पर स्थापित कर दिया, जहाँ उनका योगदान ध्रुव तारे के समान अटल और अविस्मर्णीय है। उनका जन्म 12 अप्रैल, सन 1937 को अविभाजित भारत के पंजाब में शेखपुरा नामक क़स्वे में हुआ था। लाहौर से करीब तीस कि.मी. दूर शेखपुरा क़स्बे में जन्मे गुलशन बावरा ने बचपन में ही विभाजन के दौरान रेलगाड़ी से भारत आते वक्त अपने पिता को तलवार से कटते और माँ को सिर पर गोली लगते देखा था। भाई के साथ भागकर वे जयपुर आ गए, जहाँ उनकी बहन ने उनकी परवरिश की। लिखने का शौक उनको बचपन से ही था। बचपन में माँ के साथ भजन मंडली में शिरकत करने की वज़ह से भजन लिखने से उनके लेखन का सफर शुरू हुआ था, जो कॉलेज के दिनों में आते-आते आशानुरूप रुमानी कविताओं में बदल गया। उनको पहली सफलता 1957 में रवींद्र दावे की फ़िल्म “सट्टा बाज़ार” में मिली, जब उनका लिखा निम्न गीत बेहद लोकप्रिय हुआ : “तुम्हें याद होगा कभी हम मिले थे, मोहब्बत की राहों में मिल कर चले थे, भुला दो मोहब्बत में हम तुम मिले थे, सपना ही समझो कि मिल कर चले थे। उन्होंने जीवन के हर रंग के गीतों को अल्फाज दिए। उनके लिखे गीतों में ‘दोस्ती, रोमांस, मस्ती, गम’ आदि विभिन्न पहलू देखने को मिलते हैं। ‘जंजीर’ फ़िल्म का गीत ‘यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िन्दगी’ दोस्ती की दास्तान बयां करता है, तो ‘दुग्गी पे दुग्गी हो या सत्ते पे सत्ता’ गीत मस्ती के आलम में डूबा हुआ है। उन्होंने बिंदास प्यार करने वाले जबाँ दिलों के लिए भी ‘खुल्ल्म खुल्ला प्यार करेंगे’, ‘कसमें वादे निभाएंगे हम’, आदि गीत लिखे। उनके पास हर मौके के लिए गीत था। उन्होंने संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी के संगीत निर्देशन में 69 गीत लिखे और आर. डी. बर्मन के साथ 150 गीत लिखे। उन्होंने अपनी सक्रियता के निरन्तर समय में लगातार लोकप्रिय गीत लिखा। उन्होंने पंचम दा के साथ उनकी फिल्म ‘पुकार’ और ‘सत्ते पे सत्ता’ में गानों में भी सुर मिलाए। वे भले ही आज नहीं हैं, लेकिन संगीतप्रेमियों के दिल में आज भी बसे हुए हैं।

गुलशन जी के प्रसिद्ध गीतों में शामिल हैं-

तुमको मेरे दिल ने पुकारा है
किसी पे दिल अगर आ जाए तो क्या होता है
सनम तेरी कसम
आती रहेंगी बहारें
यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िंदगी
मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती
हमें और जीने की चाहत न होती, अगर तुम न होते
तू तो है वही
कसमे वादे निभाएंगे हम
वादा कर ले साजना
पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए
दीवाने हैं दीवानों को न घर चाहिए
प्यार हमें किस मोड़ पे ले आया
कितने भी तू कर ले सितम

लेखक डॉ प्रदीप कुमार सिंह देव ओमसत्यम इंस्टिट्यूट ऑफ फिल्म, ड्रामा एंड फाइन आर्टस के निदेशक हैं