6 दिसंबर: चरित्र अभिनेता राम मोहन की पुण्यतिथि
राम मोहन हिंदी सिनेमा में खलनायक और चरित्र अभिनेता के तौर पर पहचाने जाते थे। उनकी मृत्यु 6 दिसंबर, 2015 को हुई थी।
राम मोहन का जन्म 2 नवंबर, 1929 को अंबाला कैंट में हुआ था। उनके एक परिचित और अंबाला के ही रहने वाले महेश उप्पल मुंबई सेंट्रल के पास ही मौजूद ‘फेमस आर्ट स्टूडियो’ में चित्रकार की नौकरी करते थे और रहते भी स्टूडियो में ही थे। राम मोहन ने क़रीब दो महीने महेश उप्पल के साथ रहकर गुज़ारे। राम मोहन के मुताबिक़़ वो उस दौरान रोज़ाना आसपास के इलाक़ों दादर और महालक्ष्मी में मौजूद ‘रंजीत मूवीटोन’ और ‘फ़ेमस स्टूडियो’ जैसे फ़िल्म स्टूडियोज़ के चक्कर काटते थे। कभी कभार उन स्टूडियोज़ में घुसने के लिए उन्हें दरबान को रिश्वत भी देनी पड़ती थी। दो महीने बाद उन्हें महेश उप्पल का स्टूडियो छोड़ना पड़ा तो वो रहने के लिए विले पारले चले आए। उनकी फ़िल्म जग्गू, की कामयाबी के बाद उनके रास्ते आसान हो गये। अगले कुछ सालों में उन्होंने श्री चैतन्य महाप्रभु, पेंशनर, होटल, लाल-ए-यमन, देवर भाभी, मिस 58, नाईट क्लब, राजसिंहासन, भगवान और शैतान, चाचा ज़िंदाबा, दो बहनें, टीपू सुल्तान, अंगुलिमाल, बहादुर लुटेरा, चोरों की बारात, काला आदमी और मिस्टर सुपरमैन की वापसी जैसी फ़िल्मों में अहम भूमिकाएं निभायीं। उन्होंने मिर्ज़ा ग़ालिब, तारा, शतरंज, संसार, बहादुर शाह ज़फ़र, ये दिल्ली है और महाभारत जैसे 15 टेलिविज़न धारावाहिकों में अभिनय किया। इसके साथ ही 4 साल ‘सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन’ के उपाध्यक्ष और 6 साल महासचिव पद पर रहने के अलावा वो सिनेमा से जुड़े लोगों के हित में कार्यरत विभिन्न एसोसिएशनों में भी सक्रिय रहे।