6 दिसंबर: डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि
भीमराव रामजी आम्बेडकर लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, लेखक और समाजसुधारक थे। आज ही के दिन 6 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु हुई थी।
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों से होने वाले सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। उन्होंने श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। उनका जन्म 14 अप्रैल 1990 को हुआ था। उन्होंने खुद भी अपने जीवन में बहुत अन्याय का सामना किया है। उनकी शिक्षा का सफर दूसरों से ज़्यादा आसान नहीं था। आज़ादी के बाद दलितों को “अछूत” माना जाता था। उन्हें हर जगह बहुत भेदभाव का सामना करना पड़ रहा था। डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर आगे आए और उनके लिए लड़े और दलितों को दूसरों के बराबर अधिकार और आज़ादी दिलाई। उन्होंने भारतीय कानून और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत योगदान दिया। डॉ. अंबेडकर ने एक राजनीतिक पार्टी बनाई जिसे “इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी” कहा गया। भारत को आजादी मिलने के बाद वे पहले कानून मंत्री और भारतीय संविधान बनाने वाली समिति के अध्यक्ष बने। उन्होंने भारत की कानून व्यवस्था और संविधान बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया। वे हमेशा दलितों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ़ थे। उन्होंने दलितों के समर्थन में नए कानून बनाए और उन्हें अन्य जातियों के समान शिक्षा और समान अधिकार दिए। वे भारत के इतिहास के सबसे महान नेताओं में से एक थे । हमें भारतीय कानून और संविधान में उनके योगदान के लिए उन्हें सम्मान और श्रद्धांजलि देनी चाहिए। उन्होंने दलितों की मदद की और सुनिश्चित किया कि उन्हें वह मिले जिसके वे हकदार हैं! उनकी वजह से, कई छात्र भारत में कम शुल्क पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम हैं। ऐसे लोग हैं जो आर्थिक रूप से पिछड़े हैं और उच्च-स्तरीय संस्थान में शिक्षा का खर्च नहीं उठा सकते हैं, लेकिन बाबा साहेब की वजह से वे भी अपने बच्चों को उच्च-गुणवत्ता वाली शिक्षा दिलाने में सक्षम हैं जो भारत के भविष्य को सुरक्षित करेगी।