दुमका (शहर परिक्रमा)

शैक्षणिक लेखन एवं दस्तावेजीकरण विषय पर आयोजित कार्यशाला सम्पन्न

दुमका: सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के आदिवासी महिला संसाधन केंद्र और भारतीय महिला अध्ययन संघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक सप्ताह तक चलने वाले ‘शैक्षणिक लेखन एवं दस्तावेजीकरण’ कार्यशाला का शुक्रवार को समापन हो गया। अंतिम दिन रिसोर्स पर्सन के रूप में जर्नल ऑफ आदिवासी एण्ड इंडिजिनस स्टडीज़ की एसोसिएट एडिटर डॉ.अंजना सिंह थीं। उन्होंने शोध नैतिकता, फील्ड वर्क और अच्छे पत्रिका में आलेख प्रकाशन पर बात करते हुए प्रतिभागियों के समक्ष तीनों विषयों की बारीकियों को प्रस्तुत किया। उन्होंने इनसे संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों और तकनीकों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि अकादमिक लेखन और दस्तावेजीकरण के लिए तीनों पहलू बेहद महत्वपूर्ण हैं। इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के कुल 45 शोधकर्ताओं, शिक्षकों और विद्यार्थियों ने भाग लिया। आज के समापन समारोह की अध्यक्षता संत जेवियर्स कॉलेज महारो के प्रोफेसर डॉ.वर्गीस पल्ली ने की। अपने संबोधन में उन्होंने अकादमिक लेखन के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि शोध और अध्ययन का आम जनता और उनके सवालों से जुड़ना बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे ही समाज के बेहतर बनने का रास्ता खुलेगा। रांची विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र की समन्वयक डॉ. ममता कुमारी ने अपने संबोधन में भारतीय महिला अध्ययन संघ की झारखंड परियोजना की चर्चा की और बताया कि इसके तहत पिछले तीन वर्षों में सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। उन्होंने सभी शिक्षकों और शोधकर्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि कार्यशाला में उनकी भागीदारी के कारण यह सफल रही। डॉ. ममता ने सभी से सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के आदिवासी महिला संसाधन केंद्र की गतिविधियों को आगे बढ़ाने और जमीनी स्तर पर शोध और अध्ययन को बढ़ावा देने का भी आग्रह किया।

कार्यशाला में प्रतिभागियों के रूप में एस.पी. कॉलेज की प्राध्यापक डॉ. सुमित्रा हेम्ब्रम और प्रतिभागियों ने भी अपने वक्तव्य और अनुभव साझा किए। औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन इतिहास विभाग की प्रो. अमिता कुमारी ने दिया और मंच का संचालन शोधकर्ता वैशाली बरियार ने किया।

संवाददाता: आलोक रंजन