दो दिवसीय अंतरविषयक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का हुआ उद्घाटन
आज दिनांक 29 दिसंबर 2024 को डॉ जगन्नाथ मिश्रा महाविद्यालय, जसीडीह में दो दिवसीय अंतरविषयक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का शुभ उद्घाटन सोना देवी विश्वविद्यालय, घाटशिला, पूर्वी सिंहभूम के कुलाधिपति श्री प्रभाकर सिंह, कुलपति डॉ जे पी मिश्रा, डॉ आर के शाह, शोध निदेशक, राजश्री जनक विश्वविद्यालय, जनकपुर धाम, नेपाल, डॉ मनोज कुमार मिश्रा, पूर्व प्रोफेसर, सलाले विश्वविद्यालय, इथोपिया, डॉ सरोज कुमार मिश्र, सहायक निदेशक, इग्नू क्षेत्रीय केंद्र, देवघर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।तदोपरांत डॉ नरेंद्र नाथ ठाकुर द्वारा मंगलाचरण का पाठ किया गया।
सभी अतिथि का स्वागत पुष्प गुच्छ देकर किया गया। आयोजकाें द्वारा सभी अतिथियों को अंग वस्त्र एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।
उसके बाद दिवंगत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके तैलचित्र पर माल्यार्पण किया गया एवं दो मिनट का मौन रखा गया।
कार्यक्रम का प्रारंभ करते हुए आयोजन समिति के प्रमुख डॉ सरोज कुमार मिश्र ने सभी अतिथियों एवं शिक्षार्थियों का अभिवादन करते हुए कहा कि इस महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन अपने आप में अद्वितीय है। महाविद्यालय की पूरी टीम का आभार व्यक्त किया एवं भविष्य में ऐसे सेमिनार आयोजन करने की कामना की।
मुख्य वक्ता डॉ संजय झा, पूर्व प्रोफेसर, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा ने भारतीय ज्ञान परंपरा का विभिन्न आयाम का विश्लेषण करते हुए कहा कि मिथिलांचल के ज्ञान योगदान को सर्वश्रेष्ठ माना गया क्योंकि इसकी परंपरा व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ना है।कुलाधिपति, सोना देवी विश्वविद्यालय, घाटशिला प्रभाकर सिंह ने सभी शोधार्थियों को शुभकामना देते हुए कहा कि यह सेमिनार उनके लिए भविष्य का रास्ता तय करती है। डॉ जे पी मिश्रा, कुलपति, सोना देवी विश्वविद्यालय, घाटशिला ने सभी आगंतुक विद्वानों की सराहना की एवं शिक्षार्थियों को शोध पर विशेष ध्यान देने कहा।
डॉ मनोज कुमार मिश्रा,पूर्व प्रोफेसर, सलाले विश्वविद्यालय, इथोपिया ने कहा कि शोधार्थियों के लिए इस सेमीनार में अपनी सहभागिता से भारतीय ज्ञान परंपरा को फिर से पुनर्जीवित ही नहीं किया है बल्कि आधुनिक तकनीक से परंपरागत ज्ञान को जोड़ा है।
अनुचिन्तन फाउंडेशन, खगड़िया के अध्यक्ष डॉ ईश्वर चंद ने चार पुस्तकों के विवेचन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चिंतन, मनन, पर्यावरण संबंधी चर्चाएं इस पुस्तक में मिलेगा। अधिवेशन, संगोष्ठी एवं सेमिनार मानव चिंतन का मंच है। इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का मूल उद्देश्य भारतीय मौलिक ज्ञान का विस्तार से चर्चा करना है। भागवत गीता की चर्चा में कहा गया है कि गीता की बाणी भगवान की बाणी है। गीता मानव कल्याण का संदेश देता है। मनुष्य को हमेशा जग कर रहना चाहिए। हमें कर्म करते रहना चाहिए। कल की चिंता ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए ।हमें ज्ञान अर्जित करना चाहिए। मंच का संचालन करते हुए प्रोफेसर रामसेवक सिंह “गुंजन” ने मौखिक ज्ञान परंपरा का विशेष महत्व पर प्रकाश डाला। गुंजन जी के मंच संचालन की महती भूमिका के लिए डॉ सरोज कुमार मिश्र ने विशेष रूप से धन्यवाद दिया।
अंत में समन्वयक डॉ रामकृष्ण चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आज जयशिवडीह के इस प्रांगण में ज्ञान यज्ञ की अग्नि प्रज्वलित करने के लिए आए सभी महानुभावों का इस महाविद्यालय की ओर से हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। हम आरंभ से ही इस महत् कार्य के महत्व से परिचित रहे हैं। इसीलिए सभी समर्पित सहयोगियों के साथ घृत मिश्रित भविष्य कमीसुखी समिधा सम प्रज्वलित श्रेय: प्रकाश फैलाने के लिए उत्सुक है। इस पुण्य कार्य में आपके सहयोगी बनकर हम गौरवांवित है।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय के प्राध्यापिका भावना भारती, सहायक परशुराम प्रसाद राय, चंद्र किशोर चौधरी, महादेव पंडित, अमरेंद्र ठाकुर, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी शिवनारायण यादव, जयचंद, संजय गुप्ता एवं महाविद्यालय के छात्र छात्रों ने अपने परिश्रम एवं योगदान से सहयोग किया।
हिमांशु देव, शुभा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के निदेशक जिनके निर्देश के आलोक में कार्यक्रम का संचालन हुआ।