कोडरमा (शहर परिक्रमा)

डीएवी कोडरमा में धूमधाम मनाई गई महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती


डीएवी कोडरमा की प्रातः कालीन सभा में स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती के अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य कृष्ण कुमार सिंह एवं पूरे विद्यालय परिवार ने श्रद्धापूर्वक उनकी तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। दयानंद सरस्वती जयंती के उपलक्ष्य में सर्वप्रथम वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन का आयोजन किया गया। इस हवन में पूरा विद्यालय परिवार शामिल हुआ। उसके बाद बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें दयानंद सरस्वती जी के जीवन पर प्रकाश कक्षा सातवीं की छात्रा नेहा कुमारी ने डाला। उन्होंने बताया आर्य समाज की स्थापना और भारत के निर्माण में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने ‘वेदों की ओर लौटो’ का नारा दिया। अंग्रेजी भाषण के द्वारा स्वामी दयानंद जी के जीवन और उनके विचारों को कक्षा सातवीं की छात्रा सभ्यता सिंह ने सभी से साझा किया। स्वामी जी के जीवन से जुड़े कई सत्य को सातवीं की छात्रा वर्षा प्रिया ने सभी के समक्ष प्रस्तुत किया।महान चिंतक, समाज सुधारक, देशभक्त, पथ प्रदर्शक दयानंद सरस्वती जी से जुड़ी हिन्दी कविता कक्षा आठवीं की छात्रा मार्शिया ने सुनायी। वहीं स्वामी दयानंद जी के विचारों, कर्मठता और अद्भुत व्यक्तित्व को अंग्रेजी कविता के रूप में कक्षा सातवीं की छात्रा आकृति सिंह ने प्रस्तुत किया। उनके विचारों को कक्षा सातवीं की छात्रा खुशी ने सभी के साथ साझा किया। इस अवसर पर उपांशु और समूह ने महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवनी पर नाटक का भी मंचन कर उनके जीवन काल को दर्शाया। मंच संचालन आराध्या ने किया।

इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती समाज सुधारक और आर्य समाज के संस्थापक थे, जिनका योगदान आर्य समाज की स्थापना में ही नहीं बल्कि भारतीय समाज को जागरूक करने में भी महत्वपूर्ण रहा है। उनका जीवन हर किसी के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना ।दयानंद सरस्वती ने वेदों के प्रचार प्रसार के लिए मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की।जब महिलाओं के खिलाफ भेदभाव चरम पर था, उस वक्त केवल वही थे जो इन सब समस्याओं के खिलाफ खड़े हुए थे।स्वामी जी का जीवन समाज के प्रत्येक स्तर के लिए अनुकरणीय है। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को हम सभी को अपनाना चाहिए। कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के शिक्षक अंगद कुमार मिश्रा, मुकेश कुमारी, लक्ष्मी गुप्ता एवं शुभश्री रथ का योगदान रहा।