झारखंड (शहर परिक्रमा)

झारखंड के सभी जिलों में वन विभाग के लिपिकीय कर्मियों का विरोध: 21 वर्षों से सेवा नियम नहीं बने, न ही पदोन्नति हुई

रांची: झारखंड राज्य के गठन के बाद से वन विभाग के लिपिकीय कर्मियों के लिए सेवा नियम अब तक नहीं बनाए गए हैं। वर्ष 2004 में वन विभाग के सहायक संवर्ग को निम्न वर्गीय लिपिक (LDC) और उच्च वर्गीय लिपिक (UDC) में विभाजित किया गया था। लेकिन, 21 वर्षों के बाद भी न तो विभाग ने LDC और UDC के पदों का कर्णांकन किया गया न ही सेवा नियम बनाए गए । आश्चर्यजनक रूप से, 2004 से अब तक किसी भी LDC को UDC के रूप में पदोन्नति नहीं दी गई।

कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग के अनुसार, LDC को 8 वर्षों की नियमित सेवा के बाद पदोन्नति का प्रावधान है, लेकिन वन विभाग की उदासीनता के कारण किसी को भी इस अधिकार का लाभ नहीं मिला, जिससे लिपिकीय कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है।

इस अन्याय के विरोध में, वन विभाग के सहायक 17 फरवरी 2025 से 22 फरवरी 2025 तक झारखंड के सभी जिलों में काली पट्टी बांधकर कार्य करेंगे। इस विरोध में 2004 से पहले नियुक्त वरिष्ठ सहायक भी शामिल होंगे। इसके अलावा, वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक (अराजपत्रित) कार्यालय और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (मानव संसाधन विकास) कार्यालय, जिसे “मृत /शिथिल हो जाने ” के फलस्वरूप एक प्रतीकात्मक विरोध स्वरूप सभी सहायक प्रत्येक दिन 2 मिनट का मौन रखेंगे। इन कार्यालयों की नाकामी के कारण 500 से अधिक सहायक कर्मचारियों का भविष्य अंधकार में चला गया है।

इस संबंध में वन विभागीय अराजपत्रित राज्य महासंघ के महामंत्री श्री प्रिंस गोप के आवाहन पर देवघर जिला के संघ के जिलामंत्री, श्री रतन कुमार झा के अनुसार, यदि वन प्रशासन शीघ्र सेवा नियम नहीं बनाता और पदोन्नति प्रक्रिया शुरू नहीं करता, तो लिपिकीय कर्मचारी निकट भविष्य में अपना विरोध और तेज करेंगे।

यह विरोध झारखंड के हर जिले में किया जा रहा है, जो यह दर्शाता है कि वन विभाग के लिपिकीय कर्मचारियों में व्यापक असंतोष है।

वन विभाग के लिपिकीय कर्मियों की मांग है कि इस गंभीर समस्या का तुरंत समाधान किया जाए और उनके अधिकारों को बहाल किया जाए।

संवाददाता: अजय संतोषी