राष्ट्रीय

“भारत की एकता और विविधता”

भारत एक विशाल देश है। भारत की एकता इसकी विविधताओं में में छिपी हुई है। इसकी विविधताएँ जितनी हैं, एकता भी इसकी उतनी ही प्रकट है। हमारी भिन्नताओं के बावजूद उन भीतर से बहने भावधारा एक है। भाषा कोई भी हो, उसके साहित्यकार एक ही तरह के विचारों और कथा वस्तुओं वस्तुओं, को लेकर अपने साहित्य की स्चना करते हैं। हम देखते हैं’ रामायण और महाभारत को लेकर भारत के सभी भाषाओं के बीच मिलती है। कारण, ये दोनों आर्ष काव्य सभी के उपजीव्य रहे हैं। इसके सिवा, संस्कृत और प्राकृत में भारत का जो साहित्य रचा गया था, उसका प्रभाव सभी भाषाओं की जड़ में काम कर रहा है। विचारों, की एकता किसी जाति की सबसे बड़ी एकता होती है।

भारत भौगोलिक सीमाओं सीमाओं की की. दृष्टि से काफी लम्बा-चौड़ा देश हैं। स्वभावतः इसमें भौगोलिक विशेषताएँ भी खूब मिलती हैं। प्रकृति की विविधता ने इस देश को सम्पन्न बनाया है। है।, समतल मैदान यदि अनाजों के विशाल भंडार हैं हैं तो पहाड़ी पठारी भाग खणिज सम्पदाओं के। घने जंगल, जंगली जानवरों एवं नाना प्रकार की उपयोगी लकड़ियाँ की प्राप्ति के स्रोत हैं। संसार के देशों में भारत कां न केवल महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है, बल्कि यूह विशिष्ट सम्मान श्री पोता रहा है। इसका कारण, केवल इसका प्राकृतिक वैभव नहीं है, अपितु शान्ति, मैत्री, सह-अस्ति‌त्व की भावना, न्याय की पक्षधरता आदि वे गुण हैं, हमेशा संधूर्ष-पथ पर अग्रसर जिनके लिए यह हमेशा संयुर्व अग्रसर रहा है। रहा है विश्वशान्ति जहाँ कहीं भी शान्ति का निद्यौष छा रहा के लिए आवाज ऊँची की जा रही है, वह देश कोई भी हो, बूहाँ भारत का ही स्वर विद्युमान है। वह हर वीर, जो अन्याय के विरुद्ध मुकाबले में डटकर खड़ा होता है और न्याय की की रक्षा रक्षा के लिए बलिवेदी पर अपने प्राण-चढ़ाने – चढ़ाने जाता है, निश्चय ही भारत का ही वीर है। भारत की इसी वैश्व ने इस वसुन्धरा पर पल रही समस्त मानवता के ललाट का सुरभिमय चन्दन-तिलक बना दिया है।

सम्पूर्ण विश्व की सीस्कृतिक चेतना की जन्मभूमि के रूप में यह देश निश्चय ही वन्दनीय है।

लेखक रजत मुखर्जी

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