दुमका (शहर परिक्रमा)

दुमका: दो दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस संपन्न

दुमका: सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका में आयोजित एजुकेशन और एम्प्लॉयबिटी विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस रविवार को संपन्न हो गया। रविवार को राष्ट्रीय कांफ्रेंस के दूसरे दिन का पहला टेक्निकल सत्र डॉ हरिकेश सिंह के अध्यक्षता में आहूत की गई। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ बिमल प्रसाद सिंह ने दुसरे दिन के प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता कर्नल प्रेम प्रकाश का स्वागत पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र और मोमेंटो देकर किया। मुख्य वक्ता कर्नल प्रेम प्रकाश ने सेल्फ स्किल और एम्प्लॉयबिटी के विभिन्न आयामों पर बात करते हुए डोमिन स्किल, अप्पीरेंस स्किल, व्यवहार और कम्युनिकेशन स्किल के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बात करते हुए उन्होंने बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण अकुशल होना बताया और कहा अगर आप पर्सनल, प्रोफेशनल और सोशल लाइफ में सामंजस्य स्थापित कर लेते है तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। उन्होंने अपना वक्तव्य में कौशल को सफलता का सूत्रधार बताया। इस सत्र के अंत में लगभग 10 शोधार्थियों ने अपना रिसर्च पेपर पढ़ा। पेपर पढ़ने वाले शोधार्थियों में संजय विश्वास, श्री हरि प्रकाश, काजल किरण, स्निधा हांसदा, अभिनव कुमार, हरिचन्द्र, डॉ सुबोध प्रसाद रजक, बसकी नीरज आदि शामिल थे और इसी के साथ यह टेक्निकल सत्र संपन्न हो गया।
कार्यक्रम के समापन समारोह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ बिमल प्रसाद सिंह के अध्यक्षता में 2 बजे से विश्वविद्यालय के कुल गीत के साथ शुरू हुई। इस सत्र में बतौर मुख्य अतिथि जेपी यूनिवर्सिटी छपरा के पूर्व कुलपति डॉ हरिकेश सिंह और सेंट्रल यूनिवर्सिटी हरियाणा की प्रति कुलपति डॉ सुषमा यादव, कुलाधिपति सह राज्यपाल के विशेष कार्य पदाधिकारी डॉ. संजीव राय, अमेटी यूनिवर्सिटी राँची की प्राध्यापिका डॉ. शायांतानी बनर्जी, कर्नल प्रेम प्रकाश शामिल हुए। सर्वप्रथम कुलपति डॉ. सिंह ने समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ. सुषमा सिंह का स्वागत पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र और मोमेंटो देकर किया। अपने अध्यक्षीय भाषण में कुलपति ने सभी का स्वागत करते हुए कहा इस कांफ्रेंस से कई विमर्श निकल कर बाहर आये है जिसपर चिंतन-मनन करने की आवश्यकता है साथ ही उन्होंने कहा इस कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए आगे भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहेंगे। कार्यक्रम के सचिव डॉ. संजीव कुमार सिन्हा ने दोनों दिनों के रिपोर्ट प्रतुत किए।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. सुषमा यादव ने अपने उद्बोधन में ऐसी शिक्षा व्यवस्था की कल्पना की जो रोजगार का अवसर तो उपलब्ध कराये साथ ही साथ छात्रों में भारतीय परंपरा और संस्कृति का भी संचार करें। उन्होंने कहा शिक्षा मात्र रोजगार के साधन के रूप न देखा जाए बल्कि शिक्षा ऐसी होनी जो छात्र के जीवन के आदर्श, संस्कार, सभ्यता को समझाए। उन्होंने कहा संथाल परगना के स्थानीय कौशल की पहचान करने और बढ़ावा देने की आवश्यकता है। अंत में जिन प्रतिभागियों ने कांफ्रेंस में पेपर प्रस्तुत किए उन सभी को प्रमाण पत्र दिया गया। धन्यवाद ज्ञापन कांफ्रेंस के समन्वयक डॉ. अजय सिन्हा ने किया और राष्ट्र गान के साथ कार्यक्रम संपन्न हो गया।
समापन समारोह में सभी स्नातकोतर विभाग के प्राध्यापक, शोधार्थी आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम का सफल आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ बिमल प्रसाद सिंह ने आयोजन समिति के सदस्यों को बधाई देते हुए कहा विश्वविद्यालय कर्मचारियों के सामूहिक प्रयास के कारण इतना भव्य कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किया जा सका।

रिपोर्ट- आलोक रंजन Alok Ranjan