दुमका: मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को बासुकीनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा
बासुकीनाथ: विश्व प्रसिद्ध शिवनगरी बासुकीनाथ मंदिर में सोमवार शुक्लपक्ष चतुर्दशी तिथि को देश विदेश से आये श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं की आस्था के सामने मंदिर की व्यवस्था सोमवार को नतमस्तक दिखाई दे रहा था। भीड़ को नियंत्रित कर आगंतुक सभी श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश कराना मंदिर प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर नजर आ रही थी। आगंतुक हजारों श्रद्धालुओं को कतार में लगाकर सुगमता पूर्वक पूजा अर्चना कराना सोमवार को मंदिर प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गया।
सोमवार होने के कारण अधिकतर श्रद्धालु गर्भगृह में प्रवेश करने के लिए बाबा मंदिर के निकासी द्वार पर जमे हुए थे। मंदिर के चारों ओर सोमवार को जाम सा नजारा नजर आ रहा था। निकासी द्वार के पास खड़े दर्जनों श्रद्धालु निकासी द्वार से ही मंदिर के अंदर प्रवेश करने पर उतारू थे। लेकिन ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के सामने घुसपैठिए श्रद्धालुओं की कुछ भी नही चल रहा था, लेकिन जलार्पण करके बाबा मंदिर से बाहर आने वाले श्रद्धालुओं को निकासी द्वार पर जमे प्रवेश को आतुर श्रद्धालुओं की भीड़ निकलने नहीं दे रही थी। बड़ी मुश्किल से पुलिसकर्मियों ने उन्हें बाहर निकाला तो मौका पाकर दर्जनों घुसपैठिए श्रद्धालु निकासी द्वार से प्रवेश कर गए, जिससे बहुत देर तक जाम की स्थिति बनी रही। सोमवार की पावन दिन देखकर कई वी आई पी भी बासुकीनाथ मंदिर पूजा अर्चना करने पहुंचे थे। मौके पर एस डी पी ओ आमोद नारायण सिंह,जरमुंडी सहित दर्जनों पुलिसकर्मी बासुकीनाथ मंदिर परिसर में मौजुद थे। तीन बजे दिन तक श्रद्धालुओं की भीड़ पूजा अर्चना एवम धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न करने को लेकर जमी रही।
बीते रविवार को भी बासुकीनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ थी और मंगलवार को मार्गशीर्ष (अगहन) पुर्णिमा है। जिसमें भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है बस दरकार है मंदिर प्रशासन को अपनी कर्तव्य को ईमानदारी पूर्वक निभाने की जिससे अगहन पूर्णिमा के दिन आगंतुक श्रद्धालुओं को सुगमता पूर्वक जलार्पण करने में परेशानियों का सामना करना नही पड़े। सोमवार को प्रातः पांच बजे से रात्रि आठ बजे तक लगभग साठ हजार श्रद्धालुओं ने बाबा बासुकीनाथ मंदिर में पूजा अर्चना कर अपने अपने परिजनों की सुख शांति का आशीर्वाद मांगा ।
रिपोर्ट- शोभाराम पंडा Shobharam Panda