दुमका (शहर परिक्रमा)

दुमका: एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न

दुमका: सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के सभागार कक्ष में शनिवार को कुलपति प्रो डॉ बिमल प्रसाद सिंह के अध्यक्षता में “संताल खाद्य प्रणाली को टिकाऊ और स्वस्थ बनाने’’ विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला विश्विध्यालय के स्नातकोतर वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा ईस्ट एंग्लिया यूनिवर्सिटी यूनाइटेड किंगडम और प्रधान दुमका के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित की गयी। कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता ईस्ट एंग्लिया यूनिवर्सिटी यूनाइटेड किंगडम के प्रोफेसर नित्या राव शामिल हुई और संथाल खाद्य प्रणाली विषय पर अपना विचार रखी। यहाँ बता दे प्रोफेसर नित्या राव भारतीय हरित क्रांति के जनक, मरणोपरांत भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित डॉ एमएस स्वामीनाथन की बेटी है।


कार्यक्रम की शुरुआत वीर सिदो कान्हु मुर्मू के प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ शुरू हुआ, तत्पश्चात कार्यशाला सभागार में मुख्य अतिथियों का स्वागत विश्विध्यालय के कुलपति प्रो डॉ बिमल प्रसाद सिंह ने पुष्पगुच्छ और अंगवस्त्र देकर किया। विश्विध्यालय का कुलगीत और दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत हुई। स्नातकोतर वनस्पति विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ एस.एल. बोंड़या ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
विश्वविद्यालय के बोटनी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संजय कुमार सिन्हा ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा संथालो का खाद्य प्रणाली आदिकाल से समृद्ध रहा है आज के समय में जरुरत है इसे संरक्षित करते हुए बनाये रखने का उन्होंने विषय की महत्ता को बताते हुए कहा एसकेएमयू के बोटनी विभाग में कुल 18 शाधार्थी में से 11 शोधार्थी संथाल के खाद्य प्रणाली विषय पर अध्यन कर रहे है।
विश्विध्यालय के कुलपति प्रो डॉ बिमल प्रसाद सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा संथालो के खाद्य प्रणाली शैली से हमसभी को सिखने की आवश्यकता है। उन्होंने अपने भाषण में आये दिन खाद्य प्रणाली से बहुत से चीजों का विलुप्त होने पर चिंता व्यतीत करते हुए कहा प्रकृति ने हमें स्वस्थ जीवन के लिए सबकुछ उपलब्ध कराया है, जरुरत है उसे संरक्षित करते हुए उनका पोषण मूल्य को पहचाने ताकि हम स्वस्थ रह सके।
कार्यशाल के मुख्य वक्ता प्रोफेसर नित्या राव ने सभा को संबोधित करते हुए कही संताल के द्वारा प्रोयोग किए जाने वाले पारंपरिक खान-पान की महत्ता को आम लोगो तक पहुंचाने के लिए शिक्षाविदों और समाज जागरूक लोगों को आगे आना होगा। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा 150 से ज्यादा संताल रेसिपी का न्यूट्रीशन की महत्ता विषय पर अब तक शोध हो चूका है। चिंता का विषय यह है कि संताल कम्युनिटी में भी आये दिन पारंपरिक खान-पान आज की पीढ़ी धीरे धीरे भूलते जा रही है जिसके चलते बहुत सारी अनाज, हरी पत्तेदार सब्जी, जंगली फल, फूल, कंद आदि विलुप्त हो रहे है जबकि प्रदान, जेएलबीएसएस, केवीके जैसे संगठन द्वारा इसपर काम कर रहे है। उन्होंने कही की विश्विध्यालय के छात्र, शोधार्थी इन बातो को कम्युनिटी तक पहुंचाने का सबसे बड़ा माध्यम है। इसलिए सभी को आगे आना होगा और इस विषय को समाज तक पहुँचना होगा।
मंच संचालन की जिमेदारी एस पी कॉलेज की सहायक प्राध्यापिका डॉ अनीता चक्रबर्ती ने निर्वाह की और अंत में विश्वविद्यालय के बोटनी विभाग के सहयाक प्रध्यापक डॉ. बास्की नीरज के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम संपन्न हो गया।

रिपोर्ट- आलोक रंजन