देवघर (शहर परिक्रमा)

प्रशांत चटर्जी स्मृति नाट्यकार पुरस्कार से नवाजे जाएंगे रंगकर्मी डॉ. प्रणय कुमार

देवघर: अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस की स्थापना 1961 में नेशनल थियेट्रिकल इंस्टीट्यूट द्वारा की गई थी। तब से यह प्रति वर्ष 27 मार्च को विश्वभर में फैले नेशनल थियेट्रिकल इंस्टीट्यूट के विभिन्न केंद्रों में तो मनाया ही जाता है, रंगमंच से संबंधित अनेक संस्थाओं और समूहों द्वारा भी इस दिन को विशेष दिवस के रूप में आयोजित किया जाता है।

स्थानीय ओमसत्यम् इंस्टिट्यूट ऑफ फिल्म, ड्रामा एंड फाइन आर्ट्स तथा विवेकानंद शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान के युग्म बैनर तले मनाये जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस समारोह में देवघर के यशस्वी रंगकर्मी डॉ. प्रणय कुमार को ‘प्रशांत चटर्जी स्मृति नाट्यकार पुरस्कार’ की मानद उपाधि से अलंकृत एवं विभूषित की जाएगी। प्रणय कुमार ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद पटना, मुम्बई, देवघर, रांची आदि शहरों रंगमंच का प्रदर्शन एवं निर्देशन किया। विगत चालीस वर्षों से इस क्षेत्र में अपनी सेवा देते आ रहे हैं।

मौके पर ओमसत्यम् इंस्टिट्यूट के निदेशक सह वेक्सो इंडिया के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव ने कहा- इस दिवस का एक महत्त्वपूर्ण आयोजन अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संदेश है, जो विश्व के किसी जाने माने रंगकर्मी द्वारा रंगमंच तथा शांति की संस्कृति विषय पर उसके विचारों को व्यक्त करता है। 1962 में पहला अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संदेश फ्रांस की जीन काक्टे ने दिया था। वर्ष 2002 में यह संदेश भारत के प्रसिद्ध रंगकर्मी गिरीश कर्नाड द्वारा दिया गया था।

डॉ. देव ने प्रशांत चटर्जी के संदर्भ में कहा- प्रशांत चटर्जी 10 साल की उम्र में किशोर दल से जुड़े थे। उनका कार्यक्रम ऑल इंडिया रेडियो पर प्रसारित होता था। वे एक सफल और अनुभवी अभिनेता थे। उन्होंने इलाहाबाद नाट्य सम्मेलन में लगातार ग्यारह वर्षों तक सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखक का पुरस्कार जीता। वे भोजपुरी नाटक लिखने में माहिर थे, हालांकि यह उनकी मातृभाषा नहीं थी। राजश्री प्रोडक्शंस ने उन्हें फिल्म नदिया के पार में मुख्य भूमिका की पेशकश की थी। उन्होंने अपने बैंकिंग करियर के साथ-साथ थिएटर में योगदान देने के अपने सपने को पूरा किया। बाद के वर्षों में उन्हें फिर से साईं बाबा की भूमिका की पेशकश की गई जो दूरदर्शन पर प्रसारित होती थी। जब वे पटना में यूको बैंक में काम कर रहे थे, तब उन्होंने चतुरंगों क्लब की स्थापना की और इसके पूर्व देवघर में एनजीसी क्लब की स्थापना की थी।